पाकिस्तान के लाहौर में वकीलों ने संविधान संशोधन के खिलाफ हड़ताल की घोषणा की
पाकिस्तान के लाहौर में वकीलों ने संविधान संशोधन के खिलाफ हड़ताल की घोषणा की
(एम जुल्करनैन)
लाहौर, 16 नवंबर (भाषा) पाकिस्तान के लाहौर शहर में वकीलों ने उच्चतम न्यायालय की शक्तियों को कम करने वाले विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन के खिलाफ रविवार को हड़ताल की घोषणा की और न्यायाधीशों से अपना विरोध दर्ज कराने के लिए इस्तीफा देने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने बृहस्पतिवार को 27वें संविधान संशोधन पर हस्ताक्षर कर उसे कानून बना दिया, जिसमें रक्षा बलों के प्रमुख के एक नए पद और एक संवैधानिक न्यायालय के सृजन का प्रावधान है।
तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों – उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीश न्यायमूर्ति सैयद मंसूर अली शाह, न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह और लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शम्स महमूद मिर्जा ने विवादास्पद संशोधन के खिलाफ इस्तीफा दे दिया है।
न्यायाधीशों ने इसे ‘संविधान और न्यायपालिका पर हमला’ करार दिया।
लाहौर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (एलएचसीबीए) ने इस्तीफा देने वाले न्यायाधीशों की उनके ‘सिद्धांतवादी रुख’ के लिए रविवार को उनकी सराहना की और सोमवार को लाहौर में अदालती कार्यवाही की हड़ताल की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वे न्यायपालिका और लोकतंत्र पर हमले के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए अदालती कार्यवाही का पूर्ण बहिष्कार करेंगे।
संशोधित कानून संविधान से संबंधित मामलों से निपटने के लिए संघीय संवैधानिक न्यायालय (एफसीसी) की स्थापना का प्रावधान करता है, जबकि मौजूदा उच्चतम न्यायालय केवल पारंपरिक दीवानी और आपराधिक मामलों से ही निपटेगा।
एलएचसीबीए ने संविधान के तहत शपथ लेने वाले अन्य न्यायाधीशों से भी इस्तीफा देने का आग्रह किया। एलएचसीबीए ने कहा, ‘कानूनी समुदाय उनके इस कदम का सम्मान करेगा।’
संशोधन से सेना प्रमुख आसिम मुनीर को रक्षा बलों के प्रमुख (सीडीएफ) के रूप में 2030 तक पद पर बने रहने की अनुमति मिल जाएगी।
भाषा
नोमान नरेश
नरेश

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