इस्लामाबाद, 27 सितंबर (भाषा) पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवार-उल-हक काकड़ ने देश में सेना की अपरिहार्य भूमिका को रेखांकित करते हुए स्वीकार किया कि जब तक नागरिक संस्थाएं मजबूत नहीं हो जातीं तब तक सेना राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रखेगी।
पाकिस्तान के 75 वर्षों के इतिहास में आधे से अधिक समय तक देश पर शासन करने वाली सेना सुरक्षा और विदेश नीति के मामले में प्रभावशाली रही है।
काकड़ ने मंगलवार को तुर्किये के समाचार चैनल ‘टीआरटी वर्ल्ड’ को दिए साक्षात्कार में राजनीति में पाकिस्तानी सेना की भूमिका के बारे में बात की।
जब साक्षात्कारकर्ता ने पूछा कि क्या पाकिस्तान की राजनीति में निकट भविष्य में सेना का प्रभाव बना रहेगा तो उन्होंने कहा, “व्यावहारिक, यथार्थवादी और ईमानदारी से कहूं तो…हां।”
काकड़ से पूछा गया कि अधिकांश पाकिस्तानी मानते हैं कि नेताओं और सेना के बीच गठजोड़ है तो क्या ऐसे में पाकिस्तान में लोकतंत्र कायम रह सकता है?
इस पर उन्होंने कहा, “जहां तक नेताओं-सेना के संबंध और इसके असंतुलन का सवाल है, तो मैं व्यक्तिगत रूप से इसे एक शुद्ध सरकारी ढांचे के रूप में देखता हूं। पाकिस्तानी नेताओं ने अपने विशिष्ट हितों के लिए सेना के साथ गठबंधन कर रखा है।”
उन्होंने कहा, “ जब वे सत्ता से बाहर हो जाते हैं, तो वे आलोचना करने लगते हैं और शासन के मामले में अपनी विफलताओं से ध्यान हटाकर उस विफलता के लिए सिविल और सैन्य संबंधों पर सवाल उठाने लगते हैं।”
उन्होंने कहा कि जब तक नागरिक संस्थाएं मजबूत नहीं हो जातीं, तब तक सेना राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रखेगी।
भाषा जोहेब मनीषा
मनीषा
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