रिसर्च में खुलासा: इस देश में अल्पसंख्यक होने के कगार पर पहुंचे मूल निवासी, मुस्लिम शरणार्थी होंगे बहुसंख्यक

रिसर्च में खुलासा: इस देश में अल्पसंख्यक होने के कगार पर पहुंचे मूल निवासी, मुस्लिम शरणार्थी होंगे बहुसंख्यक

रिसर्च में खुलासा: इस देश में अल्पसंख्यक होने के कगार पर पहुंचे मूल निवासी, मुस्लिम शरणार्थी होंगे बहुसंख्यक
Modified Date: November 29, 2022 / 08:05 pm IST
Published Date: April 20, 2021 12:46 pm IST

हेलासिंकी. यूरोप के कई देश मुस्लिम शरणार्थियों की भारी भीड़ को नागरिकता देने के कारण मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं। स्वीडन में अगले कुछ साल में वहां के मूल निवासी अल्पसंख्यक हो जाएंगे और मुस्लिम शरणार्थी बहुसंख्यक। वर्तमान में स्वीडन में निवास करने वाली एक तिहाई आबादी विदेशों से ताल्लुकात रखती है। समय के साथ इस देश में विदेशी लोगों की आबादी तेजी से बढ़ भी रही है। इसके प्रमुख कारणों में अप्रवासियों की बढ़ती तादाद और मूल निवासियों के प्रजनन दर में आई कमी है।

फिनलैंड की रिसर्चर क्योस्ति तरवीनैन ने अपने शोध में दावा किया है कि अगर स्वीडन में विदेशी मूल के लोगों के बसने की दर यही बनी रही तो अगले 45 साल में स्वीडिस लोग अपने ही देश में अल्पसंख्यक हो जाएंगे। क्योस्ति तरवीनैन हेलसिंकी के अल्टो विश्वविद्यालय में सिस्टम एनलॉटिक्स डिपॉर्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर काम करती हैं।

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उन्होंने मानक जनसांख्यिकी विधि, कोहोर्ट कंपोनेंट मैथड और कोहोर्ट कंपोनेंट मैथड का उपयोग करते हुए क्योति तरवीनैन ने दावा किया है कि स्वीडन के मूल निवासी 2065 तक अल्पसंख्यक हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्वीडन में विदेशी लोगों के बसने की रफ्तार बढ़ती है तो यह दिन तय समय से पहले ही देखने को मिल सकता है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि 2100 तक स्वीडन में सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिमों की होगी।

तरवीनैन ने फोक्सब्लैड न्यूजपेपर में लिखा कि स्वीडिश संसद ने सर्वसम्मति से 1975 में निर्णय लिया कि स्वीडन एक बहुसांस्कृतिक देश है। उस समय 40 फीसदी से अधिक अप्रवासी फिनलैंड के रहने वाले थे। लेकिन, अब स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। साल 2019 में 88 फीसदी अप्रवासी गैर पश्चिमी देशों से संबंधित थे। इनमें 52 फीसदी तादाद मुस्लिमों की थी। इस प्रकार अप्रावासी आबादी में एक बड़ा सांस्कृतिक परिवर्तन हुआ है। क्योंकि स्वीडन में पहले जो प्रवासियों की आबादी फिनलैंड के लोगों की थी, उसे मुस्लिमों ने कब्जे में कर लिया है।

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फिनलैंड की इस रिसर्चर ने बड़ी बात यह लिखी कि उनके देश के जितने शरणार्थी थे, उन लोगों ने स्वीडन के समाज में खुद को मिला लिया। लेकिन इस समय जो शरणार्थी आ रहे हैं, वे आसानी से स्वीडन के समाज का हिस्सा नहीं बन पा रहे हैं। इसके बजाय, वे अपने स्वयं के क्षेत्रों का निर्माण करते हैं, जिन्हें आमतौर पर बाहरी क्षेत्र या नहीं जाने लायक इलाकों को बना रहे हैं।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com