बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में हसीना के इस्तीफे का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं: राष्ट्रपति
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में हसीना के इस्तीफे का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं: राष्ट्रपति
ढाका, 21 अक्टूबर (भाषा) बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा है कि उनके पास इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि शेख हसीना ने अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच देश से चले जाने से पहले प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
नोबेल पुरस्कार विजेता 84 वर्षीय मुहम्मद यूनुस आठ अगस्त को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बने थे। इससे पहले प्रधानमंत्री हसीना 5 अगस्त को भारत चली गई थीं।
‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार ने बांग्ला दैनिक ‘मनाब जमीन’ के साथ राष्ट्रपति के साक्षात्कार के कुछ अंशों का हवाला देते हुए सोमवार को लिखा कि शहाबुद्दीन ने कहा कि उन्होंने सुना है कि हसीना ने बांग्लादेश छोड़ने से पहले प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनके पास इसका कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है।
राष्ट्रपति ने कहा कि बहुत कोशिशों के बावजूद उन्हें कोई भी दस्तावेज नहीं मिल पाया। शहाबुद्दीन ने कहा, ‘‘शायद उनके (हसीना) पास समय नहीं था।’’
पांच अगस्त की घटना का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि सुबह करीब 10:30 बजे हसीना के आवास से बंगभवन को फोन आया और बताया गया कि हसीना उनसे मुलाकात करेंगी।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह सुनकर बंगभवन में तैयारियां शुरू हो गईं। एक घंटे के भीतर ही एक और कॉल आई, जिसमें कहा गया कि वह नहीं आ रही हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हर जगह अशांति की खबरें थीं…मैंने अपने सैन्य सचिव जनरल आदिल (मेजर जनरल मोहम्मद आदिल चौधरी) से इसे देखने को कहा। उनके पास भी कोई जानकारी नहीं थी। हम इंतजार कर रहे थे और टीवी देख रहे थे। कहीं कोई खबर नहीं थी। फिर, मैंने सुना कि वह (हसीना) मुझे बताए बिना देश छोड़कर चली गई हैं। मैं आपको सच बता रहा हूं।’’
शहाबुद्दीन ने कहा, ‘‘जब सेना प्रमुख जनरल वाकर बंगभवन आए, तो मैंने यह जानने की कोशिश की कि क्या प्रधानमंत्री ने इस्तीफ़ा दे दिया है। जवाब यही था: उन्होंने सुना है कि उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया है, लेकिन शायद उन्हें हमें सूचित करने का समय नहीं मिला। जब सब कुछ नियंत्रण में था, तो एक दिन कैबिनेट सचिव इस्तीफ़े की प्रति लेने आए। मैंने उनसे कहा कि मैं भी इसकी तलाश कर रहा हूँ।’’
उन्होंने कहा कि इस पर अब बहस करने का कोई मतलब नहीं है; हसीना जा चुकी हैं और यह सच है।
राष्ट्रपति के अनुसार, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मौजूदा स्थिति में संवैधानिक शून्यता को खत्म करने और सुचारू कार्यकारी संचालन के लिए अंतरिम सरकार का गठन किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रपति अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार और सलाहकार परिषद को शपथ दिला सकते हैं।
इस बीच, विधि सलाहकार डॉ. आसिफ नजरुल ने सोमवार को कहा कि यदि राष्ट्रपति लगभग ढाई महीने बाद यह दावा करते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री ने त्यागपत्र नहीं दिया है, तो यह अपने आप में विरोधाभास होगा।
नजरुल ने कहा, ‘‘यह उनकी शपथ के उल्लंघन के बराबर है, क्योंकि 5 अगस्त को रात 11:20 बजे राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, तीनों सशस्त्र बलों के प्रमुखों के साथ, उन्होंने (राष्ट्रपति ने) स्पष्ट रूप से कहा था कि ‘शेख हसीना ने मुझे अपना त्यागपत्र सौंप दिया है’ और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। इसके बाद, संविधान के अनुच्छेद 106 के तहत अगले कदमों पर मार्गदर्शन लेने के लिए उच्चतम न्यायालय के अपीलीय प्रभाग से परामर्श किया गया। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों ने एक राय दी।’’
विधि सलाहकार ने कहा, ‘‘उस राय की पहली पंक्ति थी, ‘चूंकि प्रधानमंत्री ने मौजूदा परिस्थितियों में इस्तीफा दे दिया है…’। प्रधानमंत्री के इस्तीफे और राष्ट्रपति द्वारा संसद को भंग किए जाने के बाद, हमने अंतरिम सरकार के गठन के संबंध में अपीलीय प्रभाग की राय के आधार पर मंत्रालय के कार्यालय से राष्ट्रपति को एक नोट भेजा। राष्ट्रपति ने इस राय की समीक्षा की और इसे स्वीकार कर लिया। इसके बाद उन्होंने खुद अंतरिम सरकार बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया।’’
हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने कहा कि राष्ट्रपति ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से हसीना के इस्तीफे के बारे में राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में झूठ बोला।
बीएनपी के उपाध्यक्ष जैनुल आबेदीन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि राष्ट्रपति ने सरकार गठन के दो महीने बाद एक विशिष्ट एजेंडे के तहत यह बयान दिया है। राष्ट्रपति ने झूठ बोला है।’’
राष्ट्रपति का ‘मनाब जमीन’ के साथ साक्षात्कार शनिवार को इसकी राजनीतिक पत्रिका ‘जनतांत्रिक चोख’ में प्रकाशित हुआ।
भाषा नेत्रपाल अविनाश
अविनाश

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