जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लोकगीतों का इस्तेमाल कर रही पाकिस्तानी गायिका

जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लोकगीतों का इस्तेमाल कर रही पाकिस्तानी गायिका

जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लोकगीतों का इस्तेमाल कर रही पाकिस्तानी गायिका
Modified Date: August 6, 2025 / 05:07 pm IST
Published Date: August 6, 2025 5:07 pm IST

उमरकोट (पाकिस्तान), छह अगस्त (एपी) पाकिस्तानी लोक गायिका शाम बाई अपने गीतों के जरिये लोगों को जलवायु परिवर्तन के खतरों और इससे होने वाली तबाही को लेकर जागरुकता फैला रही हैं। शाम बाई की सधी हुई आवाज में गाए गीत ग्रामीणों को इन खतरों के बारे में सोचने पर मजबूर कर रहे हैं।

शाम बाई पाकिस्तान के सिंध प्रांत की रहने वाली हैं। सिंध, पाकिस्तान का वह प्रांत है जो तीन वर्ष पहले जलवायु परिवर्तन के कारण आई भीषण बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। बाढ़ के कारण सिंध में लाखों लोग प्रभावित हुए थे और इससे घरों, कृषि भूमि तथा बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा था।

पिछले दो वर्षों में शाम बाई ने सिंध के कई गांवों का दौरा किया है और लोगों को लोक गीतों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के बारे में सिखाया है। यह लोक गीत उन ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के बारे में लोगों को जागरुक करने में काफी मददगार साबित हो रहे हैं, जहां साक्षरता दर बेहद कम और इंटरनेट की कमी है।

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शाम (18) ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस से कहा, ‘‘जब हम गीत के माध्यम से कोई संदेश देते हैं, तो लोगों तक उसे पहुंचाना आसान हो जाता है क्योंकि वे उसे समझ लेते हैं।’’

वह उमरकोट जिले में अपनी मातृभाषा और आधिकारिक प्रांतीय भाषा सिंधी में लोक गीतों के माध्यम से लोगों को जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के बारे में जागरुक कर रही हैं।

सिंध प्रांत में 2022 में आई भीषण बाढ़ में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को नुकसान भी पहुंचा था।

शाम के अलावा कई पाकिस्तानी कलाकार रैप संगीत के माध्यम से भी लोगों को जलवायु परिवर्तन की चुनौती के बारे में जागरुक कर रहे हैं।

एपी रवि कांत रवि कांत पवनेश

पवनेश


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