नई दिल्ली: कहने को तो हम आज 21वीं सदी में जी रहे हैं, लेकिन आज भी कई दकियानुसी बातें हैं जिन्हें हम मानते आ रहे हैं। इन दकियानुसी परंपराओं में कुछ ऐसी परंपराएं भी निभाई जाती है, जिससे जान तक चली जाती है। ऐसी ही एक पुरानी सोच दुनिया के कई देशों में महावारी यानि पीरियड्स को लेकर चली आ रही है। किचन में मत जाओ, अचार मत छूना, मंदिर से दूर रहो। इस तरह की बातें आज भी देश के कई हिस्सों में लड़कियों को महीने के कुछ दिनों में सुननी पड़ जाती हैं। पीरियड्स इतना बड़ा टैबू है कि आज भी इस दौरान करीब 53 % महिलाओं को धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेने दिया जाता है।
पीरियड्स के दौरान महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां भी लगा दी जाती है। यहां तक महिलाओं को किचन और मंदिरों में प्रवेश करने पर भी मनाही रहती है। कर्नाटक में पहली बार लड़की के पीरियड्स शुरू होने पर उसे दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इलाके की महिलाएं, लड़की की आरती उतारने पहुंचती हैं। पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में पहली बार पीरियड्स आने पर त्योहार की तरह जश्न मनाते है। उस रक्त को दूध और नारियल के तेल में मिलाकर पीते है। माना जाता है कि इस रक्त को पीने से ताकत आती है।
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इस संबंध में डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि पीरियड्स का रक्त गंदा है, लेकिन इसे गंदा नहीं कहा जा सकता है। इसमें किसी भी तरह के टॉक्सिन्स नहीं होते हैं। हालांकि, रक्त में गर्भाशय के टिशू, म्यूकस लाइनिंग और बैक्टीरिया होते हैं, लेकिन ये रक्त को गंदा नहीं करते हैं। ये एक शारीरिक प्रक्रिया है, जिसके बारे में किसी को भी शर्म महसूस नहीं होनी चाहिए।
हर महिला का मासिक धर्म एक अलग चक्र होता है और ये पूरी तरह शरीर पर निर्भर करता है कि महिलाएं कितने समय तक पीरियड्स होती हैं। सामान्य चक्र की अवधि 2 से 8 दिनों तक होती है। यदि आपको 2 से कम या 8 दिनों से अधिक पीरियड्स होते हैं, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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