पोप लियो ने अनुयायियों से पीड़ा के प्रति उदासीनता त्यागने का आग्रह किया

पोप लियो ने अनुयायियों से पीड़ा के प्रति उदासीनता त्यागने का आग्रह किया

पोप लियो ने अनुयायियों से पीड़ा के प्रति उदासीनता त्यागने का आग्रह किया
Modified Date: December 25, 2025 / 11:39 pm IST
Published Date: December 25, 2025 11:39 pm IST

वेटिकन सिटी, 25 दिसंबर (एपी) कैथोलिक ईसाई धर्म के सर्वोच्च नेता पोप लियो 14वें ने बृहस्पतिवार को अपने पहले क्रिसमस संदेश में अनुयायियों से आग्रह किया कि वे उन लोगों के प्रति उदासीनता त्यागें, जिन्होंने सब कुछ खो दिया है, जैसे कि गाजा के लोग जो गरीब हैं, और कई प्रवासी जो बेहतर भविष्य के लिए भूमध्य सागर और अटलांटिक पार कर अमेरिकी महाद्वीप तक पहुंचते हैं।

पोप ने सेंट पीटर स्क्वॉयर के सामने स्थित लॉजिया से लगभग 26,000 अनुयायियों को संबोधित किया। ‘‘उर्बी एट ऑर्बी’’ (लैटिन भाषा में ‘‘शहर और दुनिया के लिए’’) का यह आशीर्वाद संबोधन दुनिया की विपत्तियों का सारांश पेश करता है।

तेज बारिश के बीच सेंट पीटर बेसिलिका के अंदर पोप के धार्मिक अनुष्ठान के दौरान भारी भीड़ जमा हुई थी, लेकिन जब लियो ने पोपमोबाइल में चौक का संक्षिप्त दौरा किया और फिर लॉजिया से भीड़ को संबोधित किया, तब तक बारिश थम चुकी थी।

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लियो ने कई भाषाओं में क्रिसमस की शुभकामनाएं देने की अपने पूर्ववर्ती पोप फ्रांसिस की परंपरा को बरकरार रखा। भीड़ का उत्साह उस समय बढ़ गया, जब लियो ने अपनी मातृभाषा अंग्रेजी और फिर स्पेनिश में शुभकामनाएं दीं। स्पेनिश भाषा पेरू में भी बोली जाती है, जहां लियो ने पहले एक मिशनरी और फिर आर्कबिशप के रूप में लंबे समय तक सेवा दी।

पोप के बेसिलिका में प्रवेश करने से पहले भीड़ में से किसी ने ‘‘विवा इल पापा!’’ (पोप अमर रहें) का नारा लगाया। इसके बाद लियो ने अपना चश्मा उतारा और हवा में हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया।

अपने पारंपरिक संबोधन के दौरान, पोप ने रेखांकित किया कि हर कोई विनम्रता और जिम्मेदारी के साथ काम करके शांति में योगदान दे सकता है।

पोप ने कहा, ‘‘अगर लोग सचमुच दूसरों के दुख में शामिल हों और कमजोर एवं शोषित लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा हों, तो दुनिया बदल जाएगी।’

पोप लियो 14वें ने लेबनान, फलस्तीन, इजराइल और सीरिया में ‘‘न्याय, शांति और स्थिरता’’ की अपील की, ‘‘यूक्रेन के पीड़ित लोगों’’ के लिए प्रार्थना की और सूडान, दक्षिण सूडान, माली, बुर्किना फासो और कांगो का हवाला देते हुए युद्ध, अन्याय, राजनीतिक अस्थिरता, धार्मिक उत्पीड़न और आतंकवाद के पीड़ितों के लिए ‘‘शांति और सांत्वना’’ की कामना की।

पोप ने लातिन अमेरिका में ‘‘अनेक चुनौतियों’’ के समाधान के लिए संवाद, म्यांमा में सुलह, थाईलैंड और कंबोडिया के बीच प्राचीन मित्रता की बहाली और दक्षिण एशिया और ओशिनिया में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों की सहायता की भी अपील की।

पोप ने अपने पहले क्रिसमस दिवस संबोधन के दौरान गाजा के लोगों को याद किया, जो ‘‘हफ्तों तक खुले में बारिश, हवा और ठंड का सामना कर रहे हैं’’ और कहा कि दुनिया के संघर्षों का समाधान संवाद के जरिये किया जा सकता है।

लियो ने सेंट पीटर बेसिलिका के मुख्य गुंबद के नीचे स्थित प्रमुख वेदी से क्रिसमस दिवस प्रार्थना सभा का नेतृत्व किया। वेदी की फूलों की माला और लाल पॉइन्सेटिया के गुच्छों से सजावट की गई थी। ईसा मसीह की माता मरियम की प्रतिमा के चरणों में सफेद फूल रखे गए थे।

पोप ने याद किया कि प्रभु यीशु ने बेथलहम में एक चरवाहे के घर यीशू के रूप में मानव शरीर धारण किया और कई कठिनाइयों का सामना किया, ठीक वैसे ही, जैसे आज गाजा के लोग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘तो फिर हम गाजा में हफ्तों तक बारिश, हवा और ठंड का सामना करने वाले लोगों के बारे में कैसे नहीं सोच सकते। हम हर महाद्वीप पर मौजूद इतने सारे अन्य शरणार्थियों और विस्थापित व्यक्तियों के बारे में, या हमारे अपने शहरों में मौजूद हजारों बेघर लोगों के बारे में कैसे नहीं सोच सकते?’’

पोप ने ‘‘युद्ध झेल रही निहत्थी आबादी’’ और ‘‘हथियार उठाने के लिए मजबूर युवाओं’’ की नाजुक स्थिति का जिक्र किया।

लियो ने रेखांकित किया कि शांति केवल संवाद से ही स्थापित हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘शांति तभी आएगी, जब हम एक-दूसरे के विचारों को सुनेंगे और समझेंगे।’’

क्रिसमस का वार्षिक समारोह छह जनवरी को समाप्त होगा, जो कैथोलिक धर्म का एपिफेनी पर्व है और बेथलहम में शिशु यीशु से मिलने आए तीन ज्ञानी पुरुषों की यात्रा का प्रतीक है।

एपी

धीरज पारुल

पारुल


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