कतर के राजनयिक ने तालिबान के साथ वैश्विक समुदाय के सहयोग पर जोर दिया |

कतर के राजनयिक ने तालिबान के साथ वैश्विक समुदाय के सहयोग पर जोर दिया

कतर के राजनयिक ने तालिबान के साथ वैश्विक समुदाय के सहयोग पर जोर दिया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:47 PM IST, Published Date : October 12, 2021/10:39 pm IST

दुबई, 12 अक्टूबर (एपी) विभिन्न देशों से अफगानिस्तान की नयी सरकार के साथ सहयोग करने का आह्वान करते हुए इस विषय पर कतर के वार्ताकार ने मंगलवार को चेतावनी दी कि उसे अलग-थलग करने का दूरगामी सुरक्षा खतरा पैदा हो सकता है जैसा कि अलकायदा ने 9/11 के हमले की साजिश रचने के लिए इस देश को अड्डे के तौर पर इस्तेमाल किया।

आतंकवाद निरोधक एवं संघर्ष समाधान पर मध्यस्थता पर कतर के विशेष दूत मुतलाक बिन माजिद अल-कहतानी ने कहा कि उन्होंने तालिबान के साथ समाज में महिलाओं की भूमिका, लड़कियों के लिए शिक्षा की सुलभता और समावेशी सरकार की अहमियत जैसे ज्वलंत मुद्दों पर तालिबान के साथ बातचीत की।

अफगानिस्तान पर कतर की नीतियों एवं अंतर्दृष्टि पर दुनिया की पैनी नजर है क्योंकि गैस समृद्ध इस छोटे से देश ने अमेरिका की वापसी के बाद युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में अपनी हैसियत से भी बड़ी भूमिका निभायी है।

अल-कहतानी ने द साऊफान सेंटर द्वारा दोहा में आयोजित वैश्विक सुरक्षा मंच में एक भाषण में कहा, ‘‘ हम तालिबान से क्या कह रहे हैं, जोकि एक कार्यवाहक सरकार या वास्तव में काबुल में प्राधिकारी है, (वह यह है कि) भेदभाव एवं बहिष्कार ….. यह अच्छी नीति नहीं हैं ।’’

वर्तमान अफगान सरकार, जिसे तालिबान बस अंतरिम कहता है, में बस ऐसी तालिबान हस्तियां हैं जिनपर संयुक्त राष्ट्र ने पाबंदियां लगा रखी हैं।

काबुल पर 15 अगस्त को तालिबान के काबिज हो जाने के बाद वहां से 100,000 से अधिक लोगों को अमेरिका द्वारा निकाले जाने में कतर की अहम भूमिका रही थी। उसने तालिबान एवं अमेरिका के बीच सीधी वार्ता की मेजबानी की है।

अल कहतानी ने बताया कि कतर क्यों तालिबान के साथ संवाद को बढ़ावा देता है जिसने सालों तक सैनिकों एवं आम नागरिकों पर आत्मघाती हमले किये एवं उनकी हत्याएं की। वैसे तालिबान अंतरराष्ट्रीय पहचान के लिए बेताब है और वह अमेरिका के साथ शांति समझौते के लिए राजी हो गया है लेकिन वह सत्ता संभालने के बाद से सार्वजनिक रूप से फांसी लटकाने एवं अन्य नृशसंताएं करने लगा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यदि हम उनके साथ संवाद एवं सहयोग नहीं करने जा रहे हैं, तो मैं समझता हूं कि हम वही गलती दोहराने जा रहे हैं जो हमने 1989 में किया…..जब हमने अफगानिस्तान, अफगानों को यूं ही छोड़ दिया, उस कदम का एक परिणाम 9/11 है, इसिलए मैं समझता हूं कि हमें उससे सबक लेना चाहिए। ’’

वैसे तालिबान ने अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट पर अंकुश लगाने में अमेरिका के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया है।

1990 के दशक में अफगानिस्तान पर सत्तासीन तालिबान ने अलकायदा एवं उसके प्रमुख ओसामा बिन लादेन को शरण दी। 9/11 के बाद बिन लादेन एवं अन्य अलकायदा को सौंपने से इनकार करने पर अमेरिका ने अफगानिस्तान पर सैन्य कार्रवाई की।

एपी राजकुमार पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)