रुश्दी ने 2022 में हुए हमले को याद करते हुए कहा : मुझे लगा था कि मैं मर रहा हूं |

रुश्दी ने 2022 में हुए हमले को याद करते हुए कहा : मुझे लगा था कि मैं मर रहा हूं

रुश्दी ने 2022 में हुए हमले को याद करते हुए कहा : मुझे लगा था कि मैं मर रहा हूं

:   Modified Date:  April 15, 2024 / 04:18 PM IST, Published Date : April 15, 2024/4:18 pm IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, 15 अप्रैल (भाषा) मुंबई में जन्मे बुकर पुरस्कार विजेता लेखक सलमान रुश्दी ने 2022 में न्यूयॉर्क में एक मंच पर अपने ऊपर हुए हमले के बारे में याद करते हुए कहा कि उन्हें उस वक्त लग रहा था कि वह मर रहे हैं।

ब्रिटिश अमेरिकी रुश्दी (76) अगस्त 2022 में एक मंच पर थे जब आरोपी हैडी माटर ने उनके ऊपर चाकू से 12 बार हमला किया था।

रुश्दी पर हुए हमले का पूरा वृतांत इस सप्ताह ‘नाइफ : मेडिटेशन्स आफ्टर ऐन अटेम्पटिड मर्डर’ नामक संस्मरण में जारी किया जाएगा।

इससे पहले ‘बीबीसी’ को दिए साक्षात्कार में लेखक ने स्वीकार किया कि हमले में एक आंख गंवा देना ‘मुझे हर दिन निराश’ करता है। यह संस्मरण उस हमले के बाद उनके दृढ़संकल्प को बयां करता है।

रुश्दी ने कहा, ‘‘मुझे दरअसल लगा था कि उसने मुझे बहुत ताकत से मुक्का मारा है। मुझे लगा नहीं कि उसके हाथ में चाकू था और फिर मैंने खून देखा और मुझे पता चला कि यह हथियार से किया गया हमला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वह हर चीज पर क्रूरता के साथ हमला कर रहा था। मेरी गर्दन पर तेजी से वार किया गया था और छाती के बीच में और बगल में दो घाव किए गए थे, और फिर मेरी आंख में घाव था, जो काफी गहरा था।’’

रुश्दी ने कहा, ‘‘यह बहुत ही डरावना लग रहा था। मतलब मेरी आंख फूल गई थी और एक तरह से मेरे चेहरे पर लटकी हुई थी और उबले अंडे की तरह मेरे गाल पर टिकी थी और मैं अंधा हो चुका था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे याद है कि उस वक्त मैं सोच रहा था कि मैं मर रहा हूं। नसीब अच्छा था कि मैं गलत था।’’ उन्होंने कहा कि करीब 27 सेकंड में हमलावर ने उन पर ताबड़तोड़ 12 बार हमले किए।

रुश्दी ने ‘बीबीसी’ से कहा, ‘‘मैं उससे लड़ नहीं सकता था। मैं उससे भाग नहीं सकता था।’’

हमले के बाद वह फर्श पर गिर गए, जहां उनके चारों ओर खून बिखरा था। उन्हें हेलीकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया और उन्हें ठीक होने में छह सप्ताह लगे। हमले में उनका जिगर, दोनों हाथ क्षतिग्रस्त हो गए। उनकी दाहिनी आंख की तंत्रिकाओं को गहरा नुकसान पहुंचा।

उन्होंने कहा कि उन्हें सीढ़ियां चढ़ते उतरते समय, सड़क पार करते समय या गिलास में पानी डालते समय बहुत सावधानी बरतनी पड़ती थी लेकिन वह भाग्यशाली हैं कि उनके मस्तिष्क को हमले में नुकसान नहीं हुआ।

रुश्दी का यह संस्मरण उनके हमलावर के साथ उनकी काल्पनिक बातचीत के स्वरूप में होगा।

उन्होंने कहा कि वह कभी आरोपी से मिले नहीं हैं लेकिन इस साल के अंत में जब मुकदमा चलेगा तो अदालत में उससे आमना-सामना हो सकता है।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

 

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