रूस ने ऐसे की थी भारत की चुपचाप मदद, वर्ना बिगड़ सकते थे हालात, सामने आयी कूटनीति… देखिए

रूस ने ऐसे की थी भारत की चुपचाप मदद, वर्ना बिगड़ सकते थे हालात, सामने आयी कूटनीति... देखिए

रूस ने ऐसे की थी भारत की चुपचाप मदद, वर्ना बिगड़ सकते थे हालात, सामने आयी कूटनीति… देखिए
Modified Date: November 29, 2022 / 08:35 pm IST
Published Date: July 6, 2020 2:54 pm IST

नई दिल्ली। चीन की सेना अब एलएसी पर पीछे चली गई है, इसे भारत की बड़ी जीत माना जा रहा है, इस बीच बड़ी हालतों को सामान्य बनाने में रूस की ​अहम भूमिका सामने आई ​है। 15 जून के बाद हालातों को और बिगड़ने नहीं देने में रूस ने बड़ी भूमिका अदा की है। रूस खुलकर सामने तो नहीं आया लेकिन उसकी कोशिश के बाद ही चीन ने भारत के 10 जवानों को छोड़ा था, वर्ना हालात और बिगड़ सकते थे।

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गौरतलब है कि 15 जून की रात गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए वहीं चीन के भी कई मारे गए, जिसकी साफ जानकारी उसने अबतक नहीं दी। इस पूरे घटनाक्रम में चीन ने भारत के 10 जवानों को पकड़ लिया था। भारत के पास भी चीन के कुछ जवान थे। फिर रूस के कहने पर चीन जवान छोड़ने को राजी हुआ था।

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दरअसल, रूस ने 23 जून को एक मीटिंग रखी थी। इसमें रूस-इंडिया-चीन (RIC) के विदेश मंत्रियों को हिस्सा लेना था। लेकिन 15 जून के बाद भारत ने साफ कह दिया था कि ऐसे हालातों में चीन से बातचीत नहीं हो पाएगी। इसपर रूस ने चीन से बात शुरू की। कहा कि टेंशन को कम करने के लिए उसे भारतीय जवानों को छोड़ना चाहिए। रूस चाहता था कि तीनों देशों के बीच होनेवाली RIC पटरी से न उतरे।

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रूस ने इस RIC के बाद बयान में कहा था कि भारत और चीन को विवाद सुलझाने के लिए किसी तीसरे की जरूरत नहीं है। अब सामने आया है कि रूस ने इसलिए दोनों देशों के मुद्दे में बीच में न पड़कर सिर्फ शांति से कूटनीति का रास्ता अपनाया। RIC को इस मकसद के लिए करवाया गया था कि भारत और चीन के बीच संबंध सही बने रहें जिससे पहले से चल रहे समझौते ठीक से चलते हैं।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com