रूस लंबे समय से संबंधों के कारण तालिबान की जीत के लिए तैयार था

रूस लंबे समय से संबंधों के कारण तालिबान की जीत के लिए तैयार था

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  • Publish Date - August 19, 2021 / 01:43 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:51 PM IST

मॉस्को, 19 अगस्त (एपी) रूस के तालिबान के साथ कुछ सालों से संबंध हैं और उसका मानना है कि तालिबान सत्ता पर पूरी तरह से पकड़ न रखे, तब भी वह अफगानिस्तान में एक ताकत है। हालांकि रूस अब भी उसे आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन मानता है।

बहरहाल, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस हफ्ते मॉस्को में जोर देकर कहा कि रूस को अफगानिस्तान के नए शासकों के तौर पर तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दी नहीं है। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि तालिबान ने संकेत दिया है कि वे सरकार में अन्य राजनीतिक ताकतों को शामिल करने के इच्छुक हैं और लड़कियों को स्कूल जाने की इजाजत देंगे जो प्रोत्साहित करने वाला है।

रूस ने 2003 में तालिबान को आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया था और फेहरिस्त से समूह को हटाने की दिशा में कोई कदम नहीं बढ़ाया है। रूस के कानून के मुताबिक, ऐसे समूहों से किसी भी तरह का संबंध दंडनीय अपराध है, लेकिन विदेश मंत्रालय का इस संबंध में जवाब विरोधाभासी प्रतीत होता है, क्योंकि रूस ने कहा है कि अफगानिस्तान में स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के वास्ते तालिबान से उनकी बातचीत जरूरी है।

कई देशों के विपरीत, रूस ने कहा कि वह काबुल में अपना दूतावास बंद नहीं करेगा, और काबुल को फतह करने के बाद उसके राजदूत ने तालिबान के नेताओं के साथ बातचीत की और इसे ‘रचनात्मक’ बताया।

गौरतलब है कि तत्कालीन सोवियत संघ ( का मौजूदा उत्तराधिकारी रूस) ने अफगानिस्तान में 1979 से 1989 तक, 10 साल जंग लड़ी थी। इसके बाद मॉस्को ने अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता में एक प्रभावशाली मध्यस्थ के रूप में वापसी की।

उसने तालिबान के साथ रिश्ते लगातार विकसित करने के लिए काम किया और कई द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय वार्ताओं के लिए उसके प्रतिधिनियों की मेजबानी की है।

अफगानिस्तान में रूस के राजदूत जमीर काबुलोव ने इस हफ्ते के शुरू में कहा, “ तालिबान के साथ हमारे रिश्ते पिछले सात साल से हैं। हम उन्हें एक ऐसी ताकत के तौर पर देखते हैं जो भविष्य में अफगानिस्तान में अहम भूमिका निभा सकती है, भले ही वह पूरी सत्ता अपने हाथ में न रखे।”

उन्होंने कहा, “ यह सभी कारक एवं तालिबान के शीर्ष नेताओं द्वारा हमें दिए गए आश्वासन के कारण ही हम ताजा घटनाक्रम पर शांति से नजर बनाए हुए हैं लेकिन हम सतर्क हैं।”

तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सुहैल शाहीन ने पिछले महीने रूस की राजधानी की यात्रा के दौरान कहा था, “ हम किसी को भी अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल रूस या पड़ोसी देशों पर हमले के लिए नहीं करने देंगे।”उन्होंने कहा, “ हमारे रूस के साथ बहुत अच्छ रिश्ते हैं।”

रूसी राजनयिक ने कहा कि वे समूह के आश्वासन पर यकीन रखते हैं और रेखांकित किया कि तालिबान इस्लामिक स्टेट समूह से लड़ाई पर तवज्जो देगा जिसे मॉस्को अफगानिस्तान में प्रमुख खतरा मानता है।

मॉस्को में रहने वाले विश्लेषक एलेक्सी माकारकिन ने एक टिप्पणी में कहा कि तालिबान फिलहाल भले ही मध्य एशिया के पूर्व सोवियत देशों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने की कोशिश न करे लेकिन बाद में अफगानिस्तान पर पकड़ मजबूत करने के बाद उनका इरादा बदल सकता है।

उन्होंने कहा, “ अभी इस बात की संभावना नहीं है कि तालिबान के नेता विस्तार शुरू करें लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे भविष्य में ऐसा कदम नहीं उठाएंगे।”

माकारकिन ने कहा कि तालिबन में अलग अलग धड़े हैं और उनके लक्ष्य भिन्न हो सकते हैं।

एपी

नोमान मनीषा

मनीषा