Sacrifice ban Before Eid al-Adha: कुर्बानी करने पर लगी रोक…नहीं मना पाएंगे बकरीद, लगेगा 5 लाख रुपए का जुर्माना, ईद से पहले जारी हुआ फरमान
Sacrifice ban Before Eid al-Adha: कुर्बानी करने पर लगी रोक...नहीं मना पाएंगे बकरीद, लगेगा 5 लाख रुपए का जुर्माना, ईद से पहले जारी हुआ फरमान
Sacrifice ban Before Eid al-Adha: कुर्बानी करने पर लगी रोक...नहीं मना पाएंगे बकरीद / Image Source: File
- पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय को बकरीद मनाने और कुर्बानी देने पर लगी रोक
- पंजाब और सिंध में हलफनामा भरवाकर दी जा रही चेतावनी
- 1974 के संविधान संशोधन के तहत अहमदिया मुस्लिमों को घोषित किया गया गैर-मुस्लिम
इस्लामाबाद: Sacrifice ban Before Eid al-Adha पूरे देश में अल्लाह के प्रति समर्पण का त्योहार यानि बकरीद 7 जून को मनाई जाएगी। इस मौके पर देश ही नहीं दुनियाभर के मुसलमान बकरा, ऊंट सहित अन्य चीजों की कुर्बानी देते हैं। लेकिन इस बीच पाकिस्तान से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। खबर है कि यहां बकरे की कुर्बानी और ईद मनाने पर रोक लगा दी गई है। अहम बात ये है कि अगर ईद मनाई गई या कुर्बानी दी गई तो 5 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया जाएगा। बता दें कि ये फैसला पाकिस्तनान में रहने वाले समुदाय विशेष के लिए लिया गया है।
Sacrifice ban Before Eid al-Adha मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत इलाके में रहने वाले अहमदिया मुस्लिमों पर ईद मनाने और कुर्बानी किए जाने पर रोक लगा दी गई है। बताया जा रहा है कि इसके लिए बकायदा हलफनामा भी भराया जा रहा है। अहमदिया मुसलमानों को चेतावनी दी गई है कि अगर उन्होंने ईद मनाई तो 5 लाख रुपए जुर्माना देना होगा। वहीं, स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई जगहों पर पुलिस अहमदिया लोगों को हिरासत में ले रही है।
पाकिस्तान में कुछ समुदाय हमेशा सेना और सरकार के निशाने पर रहे हैं, जिनमें अहमदिया समुदाय भी शामिल है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की जून 2024 की रिपोर्ट कहती है कि पंजाब में कम से कम 36 अहमदियाओं को मनमानी से गिरफ्तार कर लिया गया ताकि वे ईद न मना सकें। पाकिस्तान में 1974 के संवैधानिक संशोधन के तहत अहमदियाओं को मुस्लिम नहीं माना जाता है, जबकि यहां इनकी करीब 20 लाख आबादी रहती है। इन्हें कुरान पढ़ने, नमाज़ अदा करने जैसे धार्मिक रीति-रिवाज निभाने से रोका जाता है, जबकि उन पर लगातार हमले और उत्पीड़न की घटनाएं होती रहती हैं।
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बता दें कि पंजाब के लुधियाना ज़िले में मौजूद कादियान गांव में अहमदिया मुस्लिमों के समुदाय की शुरुआत हुई थी। साल 1889 में मिर्जा गुलाम अहमद ने खुद को खलीफा घोषित किया और शांति-प्रेम, न्याय और पवित्रता जैसे सबक दिए। मिर्जा गुलाम अहमद ने इसे इस्लाम का पुनरुत्थान माना और ये कट्टरपंथ और धार्मिक युद्ध के खिलाफ लोगों को एकत्रित किया। अहमदिया समुदाय की इसी लिबरल सोच की वजह से वे कट्टरपंथी लोगों की नज़रों में अखरते हैं। पाकिस्तान में 1974 में दंगे के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अहमदिया मुस्लिमों को नॉन मुस्लिम बता दिया। यहां के कानून के मुताबिक अहमदिया खुद को इस्लाम से जुड़ा नहीं बता सकते और अगर उन्होंने ऐसा किया तो उन्हें 3 साल तक की सज़ा होगी। आम मुस्लिमों से अलग होने की वजह से उन पर पाकिस्तान में जमकर अत्याचार होते हैं।

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