Secular word Removed from constitution: संविधान से हटाया जाएगा ‘सेकुलर’ शब्द!.. अटॉर्नी जनरल का दावा, ‘देश में मुस्लिम आबादी 90 प्रतिशत, अब चाहिए पहले जैसे हालात”..

Secular word Removed from constitution of bangaldesh मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के मुताबिक, विरोध-प्रदर्शन के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए।

Secular word Removed from constitution: संविधान से हटाया जाएगा ‘सेकुलर’ शब्द!.. अटॉर्नी जनरल का दावा, ‘देश में मुस्लिम आबादी 90 प्रतिशत, अब चाहिए पहले जैसे हालात”..

Secular word Removed from constitution of bangaldesh

Modified Date: November 14, 2024 / 07:32 pm IST
Published Date: November 14, 2024 7:32 pm IST

ढाका: तीन महीने पहले तख्तापलट जैसे हालत देखें वाले बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता नजर नहीं आ रही है। पहले स्थानीय लोगों ने अल्पसंख्यको और उनके प्रतीकों को निशाना बनाया तो वही अब देश के संविधान को लेकर नया बवाल खड़ा हो गया है। (Secular word Removed from constitution of bangaldesh) आराजकता की आंच में जल रहे बांग्लादेश में शेख हसीना के विदाई के बाद अब संविधान में बदलाव की मांग उठ रही हैं।

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दरअसल पड़ोसी देश बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने देश के संविधान से ‘सेक्युलर’ शब्द को हटाने की मांग की है। उन्होंने अदालत में इसके पीछे तर्क दिया कि बांग्लादेश की 90 फीसदी आबादी मुस्लिम है। ऐसे में बांग्लादेश के संविधान में बदलाव करते हुए सेक्युलर शब्द हटाना चाहिए। बांग्लादेश में 17 करोड़ से ज्यादा की आबादी में सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी हिन्दुओं की है, जो जनसंख्या का तकरीबन आठ प्रतिशत हैं।

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत में में जस्टिस फराह महबूब और देबाशीष रॉय चौधरी की बेंच के सामने 15वें संशोधन की वैधता पर सुनवाई के दौरान असदुज्जमां ने कहा कि पहले अल्लाह पर भरोसा और आस्था थी। मैं इसे पहले की तरह ही चाहता हूं। आर्टिकल 2ए में कहा गया है कि स्टेट सभी धर्मों को समान अधिकार देगा। (Secular word Removed from constitution of bangaldesh) वहीं अनुच्छेद 9 ‘बंगाली राष्ट्रवाद’ के बारे में बात करता है तो यह विरोधाभासी है।’


क्या जारी होगा रेडकॉर्नर नोटिस?

इस मामले से अलग बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने पुलिस महानिरीक्षक मोहम्मद मोइनुल इस्लाम को पत्र लिखकर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ इंटरपोल के माध्यम से रेड नोटिस जारी करवाने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की। बांग्ला भाषा के अखबार ‘प्रोथम आलो’ ने आईसीटी के सूत्रों के हवाले से प्रकाशित खबर में यह जानकारी दी है।

यह घटनाक्रम रविवार को कानून मामलों के सलाहकार आसिफ नजरूल के उस बयान के दो दिन बाद हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश मानवता के खिलाफ कथित अपराधों से जुड़े मुकदमे का सामना करने के लिए हसीना और अन्य ‘भगोड़ों’ को भारत से वापस लाने में इंटरपोल की मदद मांगेगा।

हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर आरक्षण विरोधी आंदोलन को कुचलने का आदेश देने का आरोप है, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई-अगस्त में विरोध-प्रदर्शन के दौरान कई लोग हताहत हुए। (Secular word Removed from constitution of bangaldesh) बाद में आंदोलन बड़े पैमाने पर विद्रोह में बदल गया, जिसके चलते हसीना को पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और बांग्लादेश छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

आंदोलनों में मारे गये 753 लोग

मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के मुताबिक, विरोध-प्रदर्शन के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। अंतरिम सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर हसीना सरकार की कार्रवाई को मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार करार दिया।

अक्टूबर के मध्य तक आईसीटी और अभियोजन टीम के पास हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं के विरुद्ध मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार की 60 से अधिक शिकायतें दर्ज कराई जा चुकी हैं।

अधिकारियों ने बताया कि रेड नोटिस एक अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है, बल्कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों से उस व्यक्ति का पता लगाने और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने का वैश्विक अनुरोध है, (Secular word Removed from constitution of bangaldesh) जिसकी तलाश प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्रवाई के वास्ते है। इंटरपोल के सदस्य देश अपने राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार रेड नोटिस का पालन करते हैं।

हसीना पर चलेगा मुकदमा

आईसीटी का गठन मूल रूप से मार्च 2010 में हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ किए गए अपराध के अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए किया था।

बाद में उसने आईसीटी-2 का गठन किया। दोनों न्यायाधिकरणों के फैसलों के बाद जमात-ए-इस्लामी और हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया की बीएनपी पार्टी के कम से कम छह नेताओं को फांसी दे दी गई। न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के सेवानिवृत्त होने के बाद जून के मध्य से यह निष्क्रिय था। अंतरिम सरकार ने 12 अक्टूबर को न्यायाधिकरण का पुनर्गठन किया।

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आईसीटी ने 17 अक्टूबर को हसीना और 45 अन्य लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जिनमें उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय और कई पूर्व कैबिनेट सहयोगी शामिल हैं। अंतरिम सरकार ने पहले कहा था कि हसीना और उनके कई कैबिनेट सहयोगियों व अवामी लीग नेताओं पर आईसीटी में मुकदमा चलाया जाएगा।

हालांकि, अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार यूनुस ने पिछले महीने ब्रिटेन के ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ अखबार के साथ बातचीत में कहा था कि उनकी सरकार भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की तुरंत मांग नहीं करेगी। (Secular word Removed from constitution of bangaldesh) उनके इस रुख को दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव से बचने की कवायद के रूप में देखा गया था।

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लेखक के बारे में

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