Suicide attack at Shia mosque in Afghanistan kills 32 and 40 Injured

नमाज के दौरान मस्जिद में हुआ धमाका, 32 लोगों की मौत, 40 से अधिक घायल

नमाज के दौरान मस्जिद में हुआ धमाका, 32 लोगों की मौत! Suicide attack at Shia mosque in Afghanistan kills 32 and 40 Injured

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:29 PM IST, Published Date : October 15, 2021/5:27 pm IST

काबुल: दक्षिण अफगानिस्तान के एक प्रांत की एक शिया मस्जिद (इमाम बाड़ा) में जुमे (शुक्रवार) की नमाज़ के दौरान आत्मघाती हमलावर ने विस्फोट कर दिया, जिसमें कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई और 40 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं। जुमे की नमाज़ की वजह से मस्जिद में भीड़ ज्यादा थी। यह जानकारी अस्पताल के एक अधिकारी और एक चश्मदीद ने दी है।

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इससे एक हफ्ते पहले इस्लामिक स्टेट (आईएस) से संबद्ध स्थानीय संगठन ने उत्तरी प्रांत की एक शिया मस्जिद में बम विस्फोट किया था, जिसमें 46 लोगों की मौत हुई थी। मुर्तज़ा नाम के चश्मदीद ने बताया कि चार आत्मघाती हमलावरों ने इमाम बाड़े पर हमला किया। दो हमलावरों ने सुरक्षा द्वार पर खुद को उड़ा लिया ताकि दो अन्य हमलावर मस्जिद के अंदर जाकर विस्फोट कर सकें, जहां पर बड़ी संख्या में नमाज़ी जुटे हुए थे।

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एसोसिएटेड प्रेस से फोन पर बात करते हुए मुर्तज़ा ने बताया कि मस्जिद में जुमे की नमाज़ करीब 500 लोग अदा करते हैं। यह कट्टरपंथी समूह तालिबान के शासन का विरोधी है और शिया समुदाय को मूर्तद (धर्मत्यागी) मानता है, जिन्हें मार दिया जाना चाहिए। अमेरिकी फौजों की वापसी के बीच अगस्त में तालिबान के सत्ता पर काबिज़ होने के बाद आईएस ने कई विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है। समूह ने छोटे हमलों में तालिबानी लड़ाकों को भी निशाना बनाया है।

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तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने विस्फोट की पुष्टि की है और कहा कि मामले की जांच चल रही है। उन्होंने मामले की और जानकारी नहीं दी। प्रांतीय अस्पताल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में सात शव और 13 घायलों को लाया गया है। उन्होंने कहा कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। अफगानिस्तान में दशकों की जंग के बाद तालिबान ने मुल्क में अमन बहाली का संकल्प लिया है। तालिबान और आईएस दोनों सुन्नी मुसलमानों के समूह हैं, लेकिन वे वैचारिक तौर पर काफी अलग हैं। इनमें आईएस काफी कट्टर है। वे कई बार एक दूसरे के खिलाफ लड़ चुके हैं। तालिबान ने शिया अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का वचन दिया है, जिनपर तालिबान ने 1990 के दशक के शासन के दौरान जुल्म किया गया था।

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