मस्तिष्क और मन में कोविड-19 का असर विविध और आम है : नया अनुसंधान | The effect of Covid-19 in the brain and mind is diverse and common: New Research

मस्तिष्क और मन में कोविड-19 का असर विविध और आम है : नया अनुसंधान

मस्तिष्क और मन में कोविड-19 का असर विविध और आम है : नया अनुसंधान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : June 5, 2021/6:26 am IST

(कैमरन वॉटसन, क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन और जोनाथन रोजर्स, यूसीएल)

लंदन, पांच जून (द कन्वरसेशन) कोविड-19 को पहले फेफड़ों की बीमारी बताया गया था लेकिन जैसे-जैसे यह महामारी फैलती गयी तो हमें अहसास हुआ कि यह मनुष्य के शरीर के और अंगों में भी फैलती है।

कोविड-19 का संबंध त्वचा पर चकत्ते होने, रक्तस्राव विकार और हृदय तथा किडनी को पहुंचने वाली क्षति से रहा है। इससे मस्तिष्क और दिमाग की दिक्कतें भी हो रही हैं।

शुरुआत के अध्ययनों से यह डर पैदा हो गया कि आघातों, मस्तिष्क में सूजन और मांसपेशियों के विकार की लहर से स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं ढह जाएंगी। कोरोना वायरस के पूर्व की समीक्षाओं में यह चेतावनी दी गई कि कोविड-19 से उबरने वाले लोगों को तनाव और पीटीएसडी (पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) जैसी मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

हालांकि इन चिंताओं को साबित या गलत साबित करने के लिए विश्वसनीय आंकड़ें मिलना मुश्किल था।

अत: मनोरोग विज्ञान, मनोविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान के अनुसंधानकर्ताओं के साथ मिलकर हमने मस्तिष्क पर कोविड-19 के असर पर उपलब्ध अनुसंधानों का अध्ययन किया। हमने जो देखा वह यह है :

अलग-अलग स्थितियां, अलग-अलग आवृत्तियां

हमारी टीम को जल्द ही यह पता लग गया कि कोविड-19 और मस्तिष्क के बीच संबंध के ज्यादातर मामले मरीजों के छोटे, उच्च चयनित समूहों से जुड़े हैं।

इससे निपटने के लिए हमने कोविड-19 के तंत्रिका विज्ञान और मनोविज्ञान से संबंधित 13,000 से अधिक दस्तावेज खंगाले। इनमें 30 देशों के 1,05,000 लोगों की जानकारी थी।

हमने पाया कि इन अध्ययनों में तंत्रिका-मनोविकार के सबसे आम लक्षण गंध का चले जाना, कमजोरी, थकान और स्वाद में बदलाव था।

हमने जिन मरीजों का अध्ययन किया उनमें से 30 प्रतिशत से अधिक में गंध चले जाने और कमजोरी के लक्षण दिखाई दिए।

हालांकि मस्तिष्क से संबंधित गंभीर स्थितियां जैसे कि मस्तिष्क में सूजन और प्रतिरक्षा प्रणाली के तंत्रिकाओं पर हमले करने को दुर्लभ रूप से ही मरीजों में देखा गया।

बहरहाल हमने पाया कि कुछ अहम मानसिक बीमारियां जैसे कि अवसाद और बेचैनी कोविड-19 के 25 प्रतिशत मरीजों में देखी गयी।

इससे आने वाले वर्षों में मरीजों पर काफी बोझ पड़ सकता है। यहां तक कि काफी कम होने वाली तंत्रिका तंत्र संबंधी बीमारियां जैसे कि आघात भी मरीजों और स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

दिलचस्प बात यह है कि हमने पाया कि कई लक्षण (मांसपेशियों में दर्द और गंध का चले जाना) असल में उन लोगों में ज्यादा दिखाई दिए जिन्हें ज्यादा गंभीर संक्रमण नहीं था।

साथ ही हमने कई लोगों में थकान और सिर में दर्द जैसे लक्षण भी देखे और ये ऐसे मरीज थे जिन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया।

इस अनुसंधान को पढ़ते वक्त आपको लग सकता है कि : हम कैसे जानेंगे कि कोविड-19 से ये दिक्कतें हो रही हैं? अवसाद आम है और ऐसे लोगों में बिना कोविड-19 हुए भी अवसाद हो सकता है? और तब क्या होगा जब कोई मनोरोग आपमें कोविड-19 होने की आशंका को और बढ़ा देता है?

साथ ही कोविड-19 के बाद मनोरोग और तंत्रिका संबंधी दिक्कतें और अधिक होती दिखाई दे रही हैं।

मस्तिष्क पर कोविड-19 के असर का पता लगाना केवल एक कदम है। असल में इस बीमारी के तंत्रिका संबंधी और मनोविकार संबंधी असर आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के लिए एक चुनौती खड़ी कर सकते हैं।

द कन्वरसेशन

गोला वैभव

वैभव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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