अपनों की मौत मातम नहीं जश्न मनाते हैं यहां के लोग, रंग-बिरंगें कपड़े पहनकर शव को देते है अंतिम विदाई
Don’t mourn the death of loved ones : बाली – विश्व में कई प्रकार की ऐसी परंपरा है जिनकों जानकर आपके होश उड सकते है। जब किसी की मृत्यु होती है तो पूरा परिवार ही नहीं बल्कि आपसी संबंधि भी उदास हो जाते है। और साथ ही पूरा परिवार मातम की स्थिति में आ जाता है। परिवार के सभी लोग रोते और बिलखते नजर आते है। और जब भी शव को दफनाने या जलाने ले जाते है तो सभी लोग मायूस हो जाते है। लेकिन आज हम ऐसी खबर बताने जा रहे है जिसकों पढकर आपकों भी यकीन नहीं होगा। जहां किसी की मौत होने पर परिवार के लोगों को ना तो कोई तकलीफ होती है और ना ही सदमा लगता है। जी हाँ और सबसे बड़ी बात यहाँ के लोग परिवार के किसी भी सदस्य की मौत पर खुशियां मनाते हैं। हम बात कर रहे हैं इंडोनेशिया के बाली द्वीप के बारे में। यहाँ इस द्वीप पर किसी इंसान की मौत किसी पर्व से कम नहीं होती है।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
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Don’t mourn the death of loved ones : यहां तक कि जब भी कोई मरता है तो परिवार के अन्य सदस्य नाच-गाना शुरू कर देते हैं। केवल यही नहीं बल्कि उनका यह उल्लास और पर्व काफी लंबे समय तक चलता है। बाली निवासियों का मानना है कि मृत्यु के पश्चात आत्मा सभी बंधनों से मुक्त हो जाती है इसीलिए पारिवारिक सदस्यों को उत्साहित होकर आत्मा के बंधन मुक्त होने की खुशियां मनानी चाहिए। इसके अलावा जब किसी परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होती है तो उस परिवार के लोग रंग-बिरंगी पोशाकों में शव को अंतिम विदाई देते हैं। यहाँ युवतियां महंगे और चमकीले आभूषण पहनकर निकलती हैं। वहीं बालों में सुंदर फूल लगाकर और बैंड बाजे के साथ सब बाहर निकलते हैं और साथ-साथ चलती हुई मृदंग की ध्वनि पर्व जैसा अहसास करवाती है।
Don’t mourn the death of loved ones : वहीं अगर देखा जाए तो यहां पर शव को अंतिम संस्कार के लिए जुलूस बनाकर ले जाते है। और जुलूस के आगें -आगे रेशमी कपड़ों और फूल-मालाओं से लिपटा एक साठ फीट लंबा स्तंभ चलाया जाता है और इस स्तंभ के अंदर ही शव को रखा जाता है। आप सभी को बता दें कि बाली द्वीप के लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी सशक्त नहीं होती कि वह शव का अंतिम संस्कार कर पाएं इसीलिए अधिकांश लोगों को अपना घर तक बेचना पड़ता है। यहाँ जब कोई मरता है तो उसके घर के बाहर घी का दिया जलाया जाता है और शव को ठीक दहलीज पर रखकर शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा की जाती है। केवल यही नहीं बल्कि कभी-कभी तो दफनाने का यह शुभ मुहूर्त कई दिनों तक नहीं आता है।

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