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जिनेवा, 26 फरवरी (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि अब समय आ गया है कि पुरानी संरचनाओं में सुधार किया जाए, प्रणालीगत खामियों को दुरुस्त किया जाए और वर्तमान वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने वाली बहुपक्षीय रूपरेखाएं बनायी जाए।
नयी दिल्ली से वीडियो लिंक के जरिए मानवाधिकार परिषद के 55वें सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने यह भी कहा कि मानवाधिकारों के प्रति भारत का दृष्टिकोण उसके लोकतांत्रिक सिद्धांतों और बहुलवादी लोकाचार में निहित है।
उन्होंने कहा, ‘‘भूराजनीतिक चुनौतियों का दीर्घकालीन समाधान तलाशने के लिए संयुक्त राष्ट्र और उसके बाहर एक साथ मिलकर काम करना हमारा सामूहिक हित तथा जिम्मेदारी है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत उन लोगों के साथ अपने अनुभव और विशेषज्ञता साझा करने के लिए हमेशा तैयार है जो इससे फायदा उठाना चाहते हैं।’’
गाजा में संघर्ष को ‘‘बड़ी चिंता’’ का विषय बताते हुए उन्होंने कहा कि संघर्षों से पैदा हो रहे मानवीय संकट को स्थायी समाधान की आवश्यकता है जो सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों को तत्काल राहत दे।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए।
भाषा गोला वैभव
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