यूएनएचआरसी ने श्रीलंका में घोषित आर्थिक आपातकाल की स्थिति पर चिंता व्यक्त की |

यूएनएचआरसी ने श्रीलंका में घोषित आर्थिक आपातकाल की स्थिति पर चिंता व्यक्त की

यूएनएचआरसी ने श्रीलंका में घोषित आर्थिक आपातकाल की स्थिति पर चिंता व्यक्त की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:28 PM IST, Published Date : September 13, 2021/7:16 pm IST

कोलंबो, 13 सितंबर (भाषा) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने मंदी के बीच श्रीलंका में घोषित आर्थिक आपातकाल की स्थिति पर सोमवार को चिंता व्यक्त की और कहा कि यह द्वीप राष्ट्र में ‘‘असैन्य गतिविधियों में सेना की भूमिका का और विस्तार’’ कर सकता है।

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने 31 अगस्त को देश की मुद्रा के मूल्य में भारी गिरावट और खाद्य कीमतों में वृद्धि के बाद बढ़ती मुद्रास्फीति को रोकने के लिए आर्थिक आपातकाल की घोषणा की थी।

इस कार्रवाई का उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी को रोकना है। सरकार ने चावल और चीनी समेत आवश्यक वस्तुओं का सरकार द्वारा गारंटीकृत कीमतों पर विक्रय सुनिश्चित करने के वास्ते अधिकारियों को निर्देश दिये है। सरकार ने आवश्यक सेवाओं के आयुक्त के रूप में श्रीलंकाई सेना के एक पूर्व जनरल को नियुक्त किया है, जिसके पास व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं द्वारा रखे गए खाद्य भंडार को जब्त करने और उनकी कीमतों को विनियमित करने का अधिकार होगा।

जिनेवा में श्रीलंका की मानवाधिकार स्थिति पर जानकारी देते हुए, संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बेशलेट ने कहा, ‘‘श्रीलंका के सामने वर्तमान सामाजिक, आर्थिक और शासन संबंधी चुनौतियां गंभीर प्रभाव का संकेत देती हैं कि मौलिक अधिकार, लोकतांत्रिक संस्थानों, सामाजिक सामंजस्य और सतत विकास के मामलों में जवाबदेही की कमी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘श्रीलंका में एक नए आपातकाल की घोषणा की गई थी, जिसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और महंगाई पर लगाम सुनिश्चित करना था। आपातकालीन नियम बहुत व्यापक हैं तथा असैन्य गतिविधियों में सेना की भूमिका का और विस्तार कर सकते हैं।’’

उन्होंने श्रीलंका में कई मानवाधिकार मामलों में न्यायिक कार्यवाही को लेकर भी चिंता व्यक्त की। यूएनएचआरसी प्रमुख ने कहा कि श्रीलंका में पुलिस हिरासत में मौत और कथित मादक पदार्थ गिरोहों के साथ पुलिस मुठभेड़ और ‘‘कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा यातना और दुर्व्यवहार की लगातार खबरें’’ भी चिंता का विषय है।

भाषा देवेंद्र मनीषा

मनीषा

 

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