अमेरिकी सांसदों, व्यापार जगत के दिग्गजों ने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई

अमेरिकी सांसदों, व्यापार जगत के दिग्गजों ने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई

अमेरिकी सांसदों, व्यापार जगत के दिग्गजों ने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई
Modified Date: June 20, 2024 / 03:41 pm IST
Published Date: June 20, 2024 3:41 pm IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 20 जून (भाषा) लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी के शपथ लेने के कुछ दिनों बाद अमेरिकी सांसदों, व्यापार जगत के दिग्गजों और व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों ने नयी दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई ।

यहां ‘यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम’ (यूएसआईएसपीएफ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में उन्होंने पिछले दशक में भारत में हुए विकास की भी सराहना की।

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कोहलबर्ग क्राविस रॉबर्ट्स एंड कंपनी के सह संस्थापक और सह कार्यकारी अध्यक्ष हेनरी आर. क्रेविस ने कहा, ”भारत व्यापार करने के लिए एक बेहतरीन देश है। वहां 86 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट है और नये विचार वाले उद्यमियों के साथ ढेरों अवसर हैं।”

यूएसआईएसपीएफ ने अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत बनाने के लिए अटूट प्रतिबद्धता दिखाने वाले क्राविस को 2024 ग्लोबल लीडरशीप अवॉर्ड से सम्मानित किया है।

क्राविस के नेतृत्व में कंपनी भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक के रूप में उभरी है और पिछले दो दशकों में विभिन्न क्षेत्रों में उसने 11 अरब अमेरीकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इस निवेश से हजारों नौकरियों का सृजन हुआ और भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान मिला है।

उन्होंने कहा, ”भारत लंबे समय से कंपनी के लिए एक प्रमुख बाजार रहा है, क्योंकि देश का विकास प्रभावशाली है, जनसंख्या गतिशील है और नये विचार वाले उद्यमी व व्यापारिक समुदाय मौजूद हैं।”

इस दौरान यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष जॉन चैंबर्स और रिपल्बिकिन सीनेटर स्टीव डैनेस और डेन सुलिवन मौजूद थे।

सीनेटर डैनेस ने कहा, ”हम शुल्क कम करने को लेकर भारत सरकार के साथ काम कर रहे हैं। भारत दालों की फसलों का नंबर एक उपभोक्ता है और मोंटाना नंबर एक उत्पादक। इसलिए, यह एक स्वाभाविक संबंध है।”

सुलिवन ने कहा, ”भारत की कहानी वैश्विक पटल पर सामने नहीं आई है। हमें भारत को दुनिया के सामने लाने की जरूरत है। भारत की अपनी यात्राओं में मैंने जबरदस्त नवाचार देखा है। दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए रणनीतिक रूप से बहुत कुछ करने का दृष्टिकोण है।”

भाषा जितेंद्र मनीषा

मनीषा


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