Volodymyr Zelenskyy on India: ‘भारत पर टैरिफ लगाना बिल्कुल सही…’, अमेरिका की भाषा बोलने लगा यूक्रेन, सुनें जेलेंस्की का यह बयान
जनवरी में, ट्रंप प्रशासन ने तेजी से देश से निकालने की प्रक्रिया का विस्तार किया, जिससे उन प्रवासियों को न्यायिक सुनवाई के बिना देश से निकाला जा सकता है जो अवैध रूप से आए और दो वर्षों से कम समय से अमेरिका में हैं।
Volodymyr Zelenskyy on India || Image- Biography file
- जेलेंस्की ने रूस से व्यापार करने वाले देशों पर टैरिफ को सही बताया।
- उनका समर्थन अमेरिका की नई नीति को बल देता है।
- यह भारत सहित अन्य विकासशील देशों के लिए संकेत हो सकता है।
Volodymyr Zelenskyy on India: कीव: रूस से तेल खरीदी और चीन जैसे पड़ोसियों के करीब जाना अमेरिका को पसंद नहीं आया। इसके बाद अमेरिका ने भारत के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए 50 फ़ीसदी टैरिफ का ऐलान कर दिया। हालांकि भारत अकेल देश नहीं जिस पर अमेरिका ने भारी-भरकम टैरिफ लगाया हो। कई विकसशील देश है जिस पर अमेरिकी राष्ट्रपति की मनमानी देखने को मिली है। विश्व जगत ने अमेरिका के इस कदम की मुखालफत भी की है और भारत के पक्ष में खड़े नजर आये, लेकिन इस मामले में रूस के प्रतिद्वंदी और अमेरिका के करीबी देश यूक्रेन की राय अलग है।
क्या कहा जेलेंस्की ने?
एक इंटरव्यू में व्लादिमीर जेलेंस्की ने अमेरिकी टैरिफ का समर्थन करते हुए कहा कि, “जो कोई भी देश रूस के साथ कारोबार करता है उसके खिलाफ लगाए गए टैरिफ के आइडिया को वह सही मानते है”..
“Right idea to put tariffs on countries that continue to make deals with Russia”, says Ukraine Prez Zelenskyy when asked about India, Russia, China SCO engagement & Trump post on thatpic.twitter.com/2bTIfyErHy
— Sidhant Sibal (@sidhant) September 8, 2025
अमेरिकी अदालतों में आव्रजन नीतियों को चुनौती
Volodymyr Zelenskyy on India: टैरिफ से जुड़े इन विवादों के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़े निर्वासन कार्यक्रम के तहत लाखों लोगों को देश से बाहर निकालने का वादा किया है लेकिन उनकी कई आव्रजन नीतियों को अमेरिकी अदालतों में कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए, एक संघीय अपील अदालत ने पिछले सप्ताह फैसला सुनाया कि ट्रंप प्रशासन कथित वेनेजुएला गिरोह के सदस्यों को शीघ्रता से निर्वासित करने के लिए 18वीं सदी के युद्धकालीन कानून का उपयोग नहीं कर सकता। संभवत: यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा।
ट्रंप प्रशासन ने 1798 के एलियन एनिमीज़ एक्ट का उपयोग ‘‘ट्रेन डी अरगुआ’’ नामक गिरोह के सदस्यों को विदेशी आक्रांता मानते हुए निष्कासित करने के लिए किया। इन लोगों को एल सल्वाडोर की एक कुख्यात जेल में भेजा गया। बहरहाल, पांचवें सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने अपने निर्णय में कहा कि यह कानून आपराधिक गिरोहों पर लागू नहीं होता। एसीएलयू के वकील ली गेलरंट ने इसे अदालत की निगरानी के बिना आपात स्थिति घोषित करने के प्रशासन के प्रयासों पर लगाम लगाने वाला फैसला बताया। वहीं, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एबिगेल जैकसन ने कहा कि राष्ट्रपति को आतंकवादियों को हटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने का अधिकार है।
एक अन्य नीति के तहत ट्रंप ने 14वें संशोधन की व्याख्या को बदलने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसके तहत अवैध या अस्थायी वीजा पर अमेरिका में मौजूद माता-पिता से जन्मे बच्चों को नागरिकता देने से इनकार किया गया। वॉशिंगटन, एरिज़ोना, इलिनॉय और ओरेगन जैसे राज्यों ने इस आदेश को चुनौती दी, और संघीय अपीलीय अदालत ने जुलाई में इस आदेश को असंवैधानिक ठहराया।
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि सैन फ्रांसिस्को में चीनी माता-पिता से जन्मा बच्चा अमेरिकी धरती पर जन्म लेने के कारण अमेरिकी नागरिक है। सैन फ्रांसिस्को की एक संघीय अपील अदालत ने जुलाई के अंत में फैसला सुनाया कि ट्रंप का आदेश असंवैधानिक है, और न्यू हैम्पशायर की निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा जिसने इस आदेश को देश भर में लागू होने से रोक दिया था। ट्रंप प्रशासन ने उन आप्रवासियों को एल साल्वाडोर और दक्षिण सूडान जैसे देशों में भेजना शुरू किया जिनका उन देशों से कोई संबंध नहीं है।
ट्रंप के अधिकारियों ने कहा है कि ये अप्रवासी अक्सर ऐसे देशों से आते हैं जो उन्हें वापस नहीं लेते या हिंसक अपराधों के दोषी पाए गए हैं। इस साल वकालत करने वाले समूहों ने यह तर्क देते हुए मुकदमा दायर किया कि लोगों के उचित प्रक्रिया अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और अप्रवासियों को उन देशों में भेजा जा रहा है जहाँ मानवाधिकारों के उल्लंघन का लंबा इतिहास रहा है। मार्च में एक संघीय न्यायाधीश ने इस नीति को अस्थायी रूप से रोका था, लेकिन जून में सुप्रीम कोर्ट ने उसे पलटते हुए प्रशासन को निर्वासन जारी रखने की अनुमति दे दी। एसवातिनी भेजे गए पांच व्यक्तियों के वकीलों ने कहा कि उन्हें बिना आरोप या वकील तक पहुंच के जेल में रखा गया है।
इस साल के शुरू में दक्षिण कैलिफोर्निया में किए गए व्यापक छापों के दौरान ट्रंप प्रशासन पर नस्लीय प्रोफाइलिंग का आरोप लगा। संघीय अदालत ने प्रशासन को लॉस एंजेलिस सहित सात काउंटी में इस तरह की कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दिया। यह आदेश संविधान के उल्लंघन के आधार पर दिया गया था। ट्रंप प्रशासन ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
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Volodymyr Zelenskyy on India: ऐसे कार्यक्रमों को ट्रंप प्रशासन ने सख्ती से समाप्त करने का प्रयास किया जो संकटग्रस्त देशों के नागरिकों को अमेरिका में अस्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति देते हैं। अस्थायी संरक्षित दर्जा (टीपीएस) और मानवीय पैरोल के तहत 15 लाख से अधिक लोग अमेरिका में रह रहे हैं। मई में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को मुकदमे के लंबित रहते हुए इन कार्यक्रमों को समाप्त करने की अनुमति दी, जिससे लाखों लोगों पर निर्वासन का खतरा मंडरा गया। हालांकि यूएस डिस्ट्रिक्ट जज एडवर्ड चेन ने वेनेजुएला और हैती के 11 लाख नागरिकों के लिए टीपीएस बहाल कर दिया और कहा कि घरेलू सुरक्षा मंत्री के पास इसे रद्द करने का कानूनी अधिकार नहीं था।
जनवरी में, ट्रंप प्रशासन ने तेजी से देश से निकालने की प्रक्रिया का विस्तार किया, जिससे उन प्रवासियों को न्यायिक सुनवाई के बिना देश से निकाला जा सकता है जो अवैध रूप से आए और दो वर्षों से कम समय से अमेरिका में हैं। यूएस डिस्ट्रिक्ट जज जिया कॉब ने अगस्त में इस विस्तार को यह कहते हुए अस्थायी रूप से रोक दिया कि यह व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। उन्होंने एक अन्य मामले में मानवीय पैरोल के तहत आए लोगों के भी त्वरित निर्वासन को अस्थायी रूप से रोक दिया।

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