संयुक्त राष्ट्र, 23 सितंबर (एपी) संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने वैश्विक शांति और प्रगति पर मंडरा रहे खतरों के बीच मंगलवार को एक ऐसी दुनिया बनाने की अपील की, जिसमें सत्ता पर कानून का शासन हावी हो और देश अपने-अपने स्वार्थों के लिए संघर्ष करने के बजाय एकजुट होकर आगे बढ़ें।
गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सम्मेलन की शुरुआत के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि संगठन के संस्थापकों के सामने 80 साल पहले भी इसी तरह के सवाल थे।
उन्होंने कहा कि शांति या युद्ध, कानून या अराजकता, सहयोग या संघर्ष का चुनाव ‘अधिक जरूरी, अधिक अंतर्संबंधित, अधिक कठोर है।’
उन्होंने कहा, ‘हम उथल-पुथल और निरंतर मानवीय पीड़ा के युग में प्रवेश कर चुके हैं। शांति और प्रगति के प्रयास असमानता और उदासीनता के बोझ तले दब रहे हैं।’
गुतारेस ने कहा कि नेताओं का पहला दायित्व शांति का चयन करना है।
उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना सभी पक्षों से सूडान के युद्धरत पक्षों का समर्थन बंद करने का आग्रह किया।
उन्होंने इजराइल का नाम तो नहीं लिया, लेकिन गाजा में उसके कृत्यों के खिलाफ कड़े शब्दों में कहा कि उन्होंने महासचिव के रूप में अपने नौ साल के कार्यकाल के दौरान मौत और विनाश का स्तर इतना खराब कभी नहीं देखा।
उन्होंने कहा, ‘फलस्तीनी लोगों को दी जा रही सामूहिक सजा को कोई भी उचित नहीं ठहरा सकता।’
गुतारेस ने कई बार कहा है कि केवल एक अदालत ही यह निर्धारित कर सकती है कि इजरायल ने गाजा में नरसंहार किया है या नहीं।
उन्होंने गाजा मामले पर दक्षिण अफ्रीका की ओर से संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत आईसीजे में दायर मुकदमे का उल्लेख किया और इसके कानूनी रूप से बाध्यकारी अनंतिम उपायों पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण कोशिश फलस्तीनी नागरिकों की रक्षा है।
गुतारेस ने कहा कि जनवरी 2024 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के फैसले के बाद से हत्याएं बढ़ गई हैं और गाजा के कुछ हिस्सों में अकाल की घोषणा कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले को ‘पूरी तरह और तुरंत लागू किया जाना चाहिए।’
एपी जोहेब अविनाश
अविनाश