(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 22 मार्च (भाषा) व्हाइट हाउस ने मंगलवार को कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग रूस और उसके राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन में अमेरिकी तथा उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के प्रभाव का मुकाबला करने की संभावना देखते हैं।
व्हाइट हाउस में रणनीतिक संचार के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वयक जॉन किर्बी का यह बयान ऐसे समय आया है, जब पुतिन रूस में चीन के राष्ट्रपति की मेजबानी कर रहे हैं।
किर्बी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आपने देखा होगा कि पिछले कुछ वर्षों में ये दोनों देश (चीन और रूस) करीब आ रहे हैं। मैं इसे गठबंधन नहीं कहूंगा… यह एक समझौते वाली शादी की तरह है, कम से कम मुझे तो ऐसा ही लगता है। राष्ट्रपति शी रूस और रूसी राष्ट्रपति पुतिन में महाद्वीप और दुनिया में अमेरिकी प्रभाव और नाटो के प्रभाव का सामना करने की संभावना देखते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति पुतिन, राष्ट्रपति शी में एक संभावित समर्थक देखते हैं। उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक दोस्त नहीं हैं। वह केवल उनसे ही उम्मीद कर सकते हैं। वह जो करना चाहते हैं, उसमें उन्हें यकीनन राष्ट्रपति शी का समर्थन चाहिए…।’’
हाल के सप्ताह में चीन खुद को एक शांति समर्थक के रूप में पेश करता हुआ दिखाई दिया और उसने संघर्ष विराम और शांति वार्ता का आह्वान करते हुए संघर्ष के ‘‘राजनीतिक समाधान’’ पर अपनी स्थिति स्पष्ट की।
यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका चीन को यूक्रेन युद्ध पर निष्पक्ष के तौर पर देखता है, इस पर किर्बी ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि चीन को निष्पक्ष के तौर पर देख सकते हैं। उन्होंने इसकी (युद्ध की) निंदा नहीं की है। उन्होंने रूस से तेल और ऊर्जा खरीदना भी नहीं रोका है।’’
पुतिन और शी की बैठकों के बाद संयुक्त बयान का जिक्र करते हुए किर्बी ने कहा कि यूक्रेन पर दोनों पक्षों ने अभी कहा है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए तथा अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इससे सहमत हैं। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मुताबिक रूस को यूक्रेन के आतंरिक क्षेत्र से हट जाना चाहिए, क्योंकि वह संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य देश का क्षेत्र है, जिस पर उसने आक्रमण किया है।’’
किर्बी ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका को नहीं लगता कि चीन ने रूस को घातक हथियार मुहैया कराने पर विचार करना छोड़ दिया है, लेकिन अभी वह उस राह पर आगे नहीं बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि चीन आने वाले दिनों में रूस को घातक हथियार मुहैया कराने की तैयारी कर रहा है।’’
एक दिन पहले किर्बी ने कहा था कि रूस अब चीन का छोटा सहयोगी रह गया है। उन्होंने कहा, ‘‘इस द्विपक्षीय रिश्ते में मुझे लगता है कि वे (रूस) निश्चित रूप से अब चीन के छोटे सहयोगी रह गए हैं।’’
इस बीच चीन ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति शी की हाल में समाप्त हुई रूस की राजकीय यात्रा ‘‘दोस्ती, सहयोग और शांति की यात्रा’’ थी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन यूक्रेन संघर्ष में तटस्थ है और दोहराया कि बीजिंग का ‘‘यूक्रेन मुद्दे पर कोई स्वार्थी मकसद नहीं है, वह मूक दर्शक नहीं बना हुआ है… या इस अवसर का लाभ नहीं उठा रहा है’’।
वांग ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति शी चिनफिंग की रूस की यात्रा दोस्ती, सहयोग और शांति की यात्रा है जिस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सकरात्मक प्रतिक्रिया दी है।’’
प्रवक्ता ने संघर्ष विराम एवं बातचीत के आह्वान को लेकर चीन द्वारा पेश 12 सूत्री शांति प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘चीन यूक्रेन मुद्दे के राजनीतिक समाधान को बढ़ावा देने में रचनात्मक भूमिका निभाना जारी रखेगा।’’
अपने संयुक्त बयान में चीन और रूस ने एशिया-प्रशांत देशों के साथ नाटो के सैन्य-सुरक्षा संबंधों के लगातार बढ़ने पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करता है।
बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विशिष्ट गठबंधन का विरोध करते हैं, जो क्षेत्र में इस तरह की गठबंधन की राजनीति को बढ़ावा देगी और खेमेबाजी से टकराव पैदा होगा।
दोनों पक्षों ने इस बात का जिक्र किया कि अमेरिका शीत युद्ध की मानसिकता में जी रहा है और हिंद-प्रशांत रणनीति का अनुसरण करता है, जिसका क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
चीन और रूस एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक समान, खुली और समावेशी सुरक्षा प्रणाली बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि बनाए रखने के लिए किसी अन्य देश को निशाना नहीं बनाता है।
भाषा सुरभि अविनाश
अविनाश
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