नई दिल्ली : Ukraine is struggling with climate change : साल 2022 बिल्कुल अपने आखिरी लम्हों में है और 2023 दहलीज पर दस्तक देने वाला है। दुनिया भर के देश दशकों से चले आ रहे तमात तरह के संघर्षों, आर्थिक उथल-पुथल और जलवायु परिवर्तन जैसे विनाशकारी प्रभावों से जूझ रहे हैं। इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी ने टॉप 10 ऐसे देशों की लिस्ट जारी है, जहां पैदा हुए मानवीय संकटों ने सारी दुनिया की नजर अपनी ओर खींची। आइए जानते हैं इन देशों में नागरिक किस तरह से जिंदगी जीने के लिए जद्दोजहद का सामना कर रहे हैं और साथ में ये भी जानेंगे कि आने वाले दिनों में किस तरह के हालात पैदा होने की आशंका है।
Ukraine is struggling with climate change : रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण शुरू किया। इसके बाद यूक्रेनी सेना ने भी मोर्चा संभाला है। इसके साथ इस सदी के सबसे लंबे समय तक चलने वाले युद्ध की शुरुआत हुई। जो 5 महीने से अधिक समय से जारी है। यूक्रेन के खिलाफ आक्रमण बोलने से कुछ दिन पहले रूस ने आधिकारिक तौर पर डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक और लुहान्स्क पीपुल्स रिपब्लिक, पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में दो स्वयं घोषित राज्यों को मान्यता दी थी।
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को रोकने के अंंतरराष्ट्रीय प्रयास भी शुरू हो गए है। इसके तहत अमेरिका समेत सभी नाटो देशों ने रूस से हमला बंद करने को कहा। इसके तहत अमेरिका के नेतृत्व में सभी देशों ने हमला ना करने पर आर्थिक समेत कई प्रतिबंध रूस पर लगाने की चेतावनी दी। इसके बाद भी रूस के नहीं मानने पर आर्थिक समेत हवाई यात्रा संबंधी प्रतिबंध लागू किए गए।
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Ukraine is struggling with climate change : रूसी के रक्षा मंत्रालय ने दो मार्च को यूक्रेन के दक्षिणी शहर खेरसॉन पर कब्जा करने का दावा किया। रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि रूसी विमानों ने हवाई हमले में यूक्रेन की राजधानी स्थित मुख्य टीवी टावर को भी निष्क्रिय कर दिया। रूसी सेना ने यूक्रेन के सूचना आक्रमण की क्षमता को निष्क्रिय करने की मकसद से मुख्य टीवी टावर को निष्क्रिय किया था।
रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध में अमेरिका के नेतृत्व में नाटो देश खुलकर यूक्रेन के समर्थन में आए। शुरुआत में यूक्रेन के नाटो में शामिल हाेने की चर्चा और उसके बाद विश्व युद्ध शुरू होने की संभावनाएं बनती दिखी। लेकिन, बाद में नाटो देशों ने यूक्रेन को हथियारों समेत अन्य मदद उपलब्ध करानी शुरू कर दी।
Ukraine is struggling with climate change : रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में रूसी सेना का पलड़ा भारी पड़ता हुआ दिखाई दिया। रूसी सेना ने यूक्रेन के प्रमुख बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया। जिसके बाद यूक्रेन अन्य देशों को गेंहू की आर्पूित नहीं कर सका है। इस वजह से दुनिया के कई देशों में खाद्य संकट गहरा गया। नतीजतन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के दाम रिकॉर्ड स्तर पर दर्ज किए गए।
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने 14 मई को दावा किया यूक्रेनी सेना ने युद्ध के दौरान 200 वें रूसी विमान को मार गिराया। साथ ही जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेनी सेना ने रशियन टैंकों, बख्तरबंद वाहनों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को भारी नुकसान पहुंचाया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह पता नहीं है कि यह युद्ध कब तक चलेगा। इस दौरान उन्होंने यूक्रेन को देशों से मिली रही मदद के लिए भी शुक्रिया कहा था।
Ukraine is struggling with climate change : ब्रिटेन ने यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की पूर्व पत्नी और उनकी कथित प्रेमिका को अपनी प्रतिबंध सूची में शामिल किया है। इस सूची में पुतिन की पूर्व पत्नी ल्यूडमिला, पूर्व ओलंपिक जिमनास्ट अलीना काबेवा और कई व्यवसायी जो रूसी राष्ट्रपति के चचेरे भाई हैं, को शामिल किया गया है। काबेवा पर पुतिन के साथ घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध रखने का आरोप लगाया गया।
रूस ने यूरोपीय देशों की तरफ से लगाए गए प्रतिबंध के बदले यूरोप को गैस की आपूर्ति करने से मना किया। रूस के इस फैसले से ठंड के समय यूरोप में ऊर्जा संकट गहराने की स्थिति बनी। इससे संकट से निपटने के लिए अमेरिका ने मोर्चा संभालते हुए जुलाई में ऊर्जा क्षेत्र के तौर पर जाने वाले खाड़ी देशों की यात्रा की।
Ukraine is struggling with climate change : रूस की तरफ से एक मॉल पर किए गए मिसाइल हमले पर फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों बिफरे। जर्मनी में जी 7 शिखर सम्मेलन के अंत में अपने संबोधन में मैक्रों ने कहा किरूस यूक्रेन युद्ध नहीं जीत सकता और उसे जीतना भी नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि सातऔद्योगिकीकृत लोकतंत्र यूक्रेन का समर्थन उस समय तक करते रहेंगे, जब तक यह जरूरी हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रूस के खिलाफ प्रतिबंधां को कामय रखा जाएगा।
रूस और यूक्रेन युद्ध का सबसे भयावह सच यूक्रेन से हो रहा विस्थापन है। युद्ध के बीच यूक्रेन से लाखों लोग विस्थापन कर चुके हैं। बीते दिनों जारी हुई एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि यूक्रेनी महिलाओं को बच्चों को यौन दासता के लिए अरब के देशों में लाया जा रहा है। वहीं राष्ट्रपति जेलेंस्की भी शरणार्थी शिविरों से दो लाख बच्चों के लापता होने की बात कह चुके हैं।
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