कोरोना काल में निजी स्कूल नहीं वसूल सकेंगे पूरी फीस, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला | Private schools will not be able to charge full fees in Corona era, important decision of Supreme Court

कोरोना काल में निजी स्कूल नहीं वसूल सकेंगे पूरी फीस, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

कोरोना काल में निजी स्कूल नहीं वसूल सकेंगे पूरी फीस, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : May 4, 2021/6:14 am IST

जयपुर। कोरोना काल में चल रहे फीस विवाद मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोरोनाकाल के शैक्षणिक सत्र 2020-2021 के लिए निजी स्कूलों को सालाना फीस में 15 फीसदी की छूट देने के लिए कहा है, यानी पैरेंट्स को अब 85 प्रतिशत फीस देनी होगी। वहीं, कोर्ट ने यह भी कहा है कि स्कूल संचालक शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए पूरी फीस वसूलने के लिए स्वतंत्र हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के आने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट का हाल ही दिया, वो आदेश रद्द हो गया है, जिसमें निजी स्कूल से ट्यूशन फीस 70 प्रतिशत लेने के लिए कहा था।

ये भी पढ़ें:माना कोविड सेंटर के पास युवती की मिली लाश.. उधर नशेड़ी युवकों ने मितानिनों से अभद्रता कर छीना वैक्सीन

बता दें कि राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से जारी आदेश की सिफारिशों को निजी स्कूल और अभिभावकों ने मानने से इनकार कर दिया था। अभिभावकों ने स्कूलों की 70 प्रतिशत फीस को ज्यादा बताया था, जबकि निजी स्कूलों ने अभिभावकों से पूरी फीस लेने की मांग की थी। लिहाजा मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने जहां फीस मामले में अपनी पूरी राय रखी है। वहीं ऑनलाइन क्लासेज को लेकर भी निर्देश दिए हैं। कोर्ट के मुताबिक यह फीस बच्चों को समान 6 किस्तों में 8 फरवरी से 5 अगस्त के बीच तक देनी होगी। वहीं कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसी बच्चे की फीस जमा ना होने पर उसका नाम स्कूल उसका नाम नहीं काट सकेगा। और ना ही ऑनलाइन और फिजिकल क्लासेज रोकी जाएगी। ना ही परिणाम रोका जाएगा।

ये भी पढ़ें:TMC की जीत के बाद दिल दहलाने वाली बर्बर हत्याएं, भा…

इधर इस फैसले से अभिभावक नाखुश है। इस मामले में संयुक्त अभिभाव संघ के प्रवक्ता का कहना है कि हम पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे । क्योंकि बड़ी संख्या में ऐसे विद्यार्थी है, जिन्होंने एक भी ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाएं नहीं ली। ऐसे में यह स्टूडेंट्स फीस क्यों चुकाएं। कोर्ट ने जहां फीस वसूलने के प्रतिशत पर अपनी बात रखी। वहीं निजी स्कूलों की ओर से दिए गए तर्क, फीस तय करना कमेटी का हक, न कि राज्य सरकार का। इस पर भी अपनी बात रखी। कोर्ट ने स्कूल फीस एक्ट 2016, रूल्स 2017 को वैध करार दिया। वहीं कोर्ट ने कहा कि स्कूल कमेटी में वहीं अभिभावक होंगे, जिन्हें फीस एक्ट और अकाउंट की समझ हो। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी को आपत्ति है तो वह डिविजनल फीस रेग्यूलेटरी कमेटी जा सकता है। इसके बाद कमेटी जो फैसला लेगी, उसे दोनों पक्षों को मानना होगा।