Rarest Golden Blood Group: दुनियाभर में महज इतने लोग ही कर सकते हैं डोनेट, सोने से भी ज्यादा महंगी ‘गोल्डन ब्लड’ की एक बूंद
Rarest Golden Blood Group: Only 9 people can donate worldwide 9 लोग ही कर सकते हैं डोनेट, सोने से भी ज्यादा महंगी 'गोल्डन ब्लड' की एक बूंद
Rarest Golden Blood Group
Rarest Golden Blood Group: गोल्डन ब्लड की एक बूंद की कीमत एक ग्राम सोने की कीमत से भी अधिक होती है। वैसे हर ग्रुप का ब्लड जरूरतमंद के लिए बहुमूल्य होता है, लेकिन गोल्डन ब्लड की बात की जाए तो इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। आज हम इस रिपोर्ट में गोल्डन ब्लड की अहमियत और इससे जुड़ी अन्य जानकारियां साझा कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की आबादी 15 नवंबर को 800 करोड़ पहुंच गई है। इतनी बड़ी आबादी आमतौर पर 8 तरह के ब्लड ग्रुप में बटी हुई होती है। ये ब्लड ग्रुप A+, A-, B+, B-, O+, O-, AB+ और AB- हैं। अब एक और ब्लड ग्रुप पाया गया है, जो 800 करोड़ की आबादी में महज 45 लोगों के शरीर में पाया जाता है।
Read more: एडल्ट वीडियो बनाना चाहती हैं दादी, जिसके लिए तलाश कर रही हैं किराए पर बॉयफ्रेंड
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ब्लड ग्रुप का नाम “गोल्डन ब्लड” है। चौंकाने वाली बात यह है कि जिन 45 लोगों के शरीर में ये गोल्डन ब्लड पाया जाता है, उनमें से भी महज 9 लोग ही ब्लड डोनेट कर सकते हैं। इस दुर्लभ ब्लड ग्रुप के कई अलग-अलग नाम भी रखें गए हैं, जिसमें से ‘देवी-देवताओं का खून’ भी इसका एक नाम है। आइये अब हम आपको इस ब्लड ग्रुप से जुड़ी कई अहम जानकारियों के बारे में बताएंगे:-
गोल्डन ब्लड ग्रुप आखिर क्या है?
गोल्डन ब्लड मानव शरीर में पाया जाने वाला एक दुर्लभ ब्लड ग्रुप है। इस ब्लड ग्रुप को Rh null भी कहते हैं। यह दुनिया भर में केवल 45 लोगों के शरीर में पाया जाता है। इस ब्लड को किसी भी ब्लड ग्रुप वाले मनुष्यों के शरीर में चढ़ाया जा सकता है। इस समूह का ब्लड बहुत कम लोगों में पाया जाता है, इसीलिए इस ब्लड ग्रुप को दुर्लभ माना जाता है।
Rh null को गोल्डन ब्लड ग्रुप क्यों कहा जाता है?
भले ही यह ब्लड ग्रुप दुनिया में महज 45 लोगों के शरीर में पाया जाता है, लेकिन इसके डोनर सिर्फ 9 लोग हैं। इसका मतलब यह है कि गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले 36 लोग ऐसे हैं, जो या तो अपना ब्लड डोनेट करने की स्थिति में नहीं हैं या अपनी इच्छा से अपना रक्तदान करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में इस ब्लड ग्रुप के ब्लड की एक बूंद की कीमत एक ग्राम सोने से भी ज्यादा होती है। इसी वजह से इसे गोल्डन ब्लड ग्रुप का नाम दिया गया है।
गोल्डन ब्लड को Rh null क्यों कहा जाता है?
Rarest Golden Blood Group: अभी हमने आपको बताया कि इस ब्लड ग्रुप को गोल्डन ब्लड ग्रुप क्यों कहा जाता है। अब सवाल यह उठता है कि गोल्डन ब्लड को Rh null क्यों कहा जाता है? दरअसल, यह ब्लड उसी व्यक्ति के शरीर में पाया जाता है, जिसका Rh फैक्टर शून्य होता है। अब आप सोच रहे होंगे की ये Rh फैक्टर क्या है? हमारे शरीर में ब्लड 3 प्रकार के सेल्स से बनता है, पहला- लाल रक्त कोशिकाएं, दूसरा- श्वेत रक्त कोशिकाएंतीसरा और आखिरी है- प्लेटलेट्स।
कैसे पता चलेगा हमारे शरीर का ब्लड ग्रुप कौन सा है?
इस बात का पता दो बातों के आधार पर लगाया जाता है—
– एंटीबॉडी (Antibodies): सफेद रक्त में मौजूद प्रोटीन।
– एंटीजन (Antigen): लाल रक्त कोशिका में मौजूद प्रोटीन।
Read more: कंडक्टर ने अपनी ही बस में महिला के साथ की हैवानियत, इस बहाने वारदात को दिया अंजाम
RH एक प्रोटीन है, जो रेड ब्लड सेल्स की सतह पर मौजूद होता है। आमतौर पर इंसान के शरीर में यह आरएच पॉजिटिव या नेगेटिव होता है। जिस व्यक्ति के शरीर में गोल्डन ब्लड होता है, उसके शरीर का आरएच न तो पॉजिटिव होता है और न ही नेगेटिव होता है। इसका मतलब है कि उनके शरीर में आरएच फैक्टर ‘शून्य’ है।
कुछ ही लोगों के शरीर में गोल्डन ब्लड क्यों पाया जाता है?
गोल्डन ब्लड ग्रुप जेनेटिक म्यूटेशन के कारण होता है। यह आमतौर पर ऐसे लोगों के शरीर में आरएचएजी (RHAG) जीन के म्यूटेशन के कारण होता है। मानव शरीर में इस तरह के ब्लड ग्रुप की उपस्थिति के मुख्य रूप से दो कारण होते हैं। आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण, यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिल जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन वेबसाइट के मुताबिक, चचेरे भाई, भाई-बहन, कोई करीबी या दूर के रिश्तेदारों के बीच विवाह से भी बच्चों में गोल्डन ब्लड होने की संभावना बढ़ जाती है।

Facebook



