नीला हो रहा कुत्तों का रंग, क्या यह हवा-पानी में फैलते जहर का असर है? | The color of dogs becoming blue, is it the effect of poison spreading in air and water?

नीला हो रहा कुत्तों का रंग, क्या यह हवा-पानी में फैलते जहर का असर है?

अक्सर यह देखा गया है कि कुछ जानवरों की प्रजातियों में रंग तय हैं। कई बार म्यूटेशन के कारण इनमें कोई अंतर भी देखने को मिल जाता है

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : September 28, 2021/12:46 pm IST

color of dogs becoming blue Hindi

मॉस्को। अक्सर यह देखा गया है कि कुछ जानवरों की प्रजातियों में रंग तय हैं। कई बार म्यूटेशन के कारण इनमें कोई अंतर भी देखने को मिल जाता है लेकिन जब रूस के एक शहर में एक-एक कर कई कुत्ते नीले रंग के दिखने लगे तो समझ आने लगा कि इसके पीछे कोई अनोखा कारण हो सकता है। कुत्तों में भी कई तरह के रंग होते हैं लेकिन नीला शायद ही कहीं देखा जाता हो। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया कि आखिर यहां ऐसा क्या हो रहा है जो कुत्तों का रंग नीला हो गया है?

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इस साल फरवरी में रूस की राजधानी मॉस्को से करीब 370 किमी दूर जररिंस्क (Dzerzhinsk) शहर की गलियों में नीले रंग के कुत्ते देखे जा रहे थे। शुरुआत में तो इसे लेकर आसपास के इलाकों में पहेली खड़ी हो गई लेकिन फिर इशारा मिला पास में बंद पड़े एक केमिकल प्लांट पर। ऐनिमल ऐक्टिविस्ट समूहों ने शक जताया प्लांट से निकलने वाले हानिकारक केमिकल्स पर। मॉस्को टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पास की फैक्ट्री से प्लेक्सीग्लास और हाइड्रोसायनिक ऐसिड निकलता था।

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यह ऐसिड हाइड्रोजन सायनाइड के पानी में मिलने पर बनता है और हाइड्रोजन सायनाइड एक बेहद जहरीला कंपाउंड होता है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि प्लांट में अक्रेलिक ग्लास और प्रूसिक ऐसिड निकलता था और आशंका जताई गई कि कॉपर सल्फेट जैसे केमिकल्स के कारण कुत्तों के फर का रंग बदल रहा है। हालांकि, इन कुत्तों की सेहत पर कोई असर नहीं था लेकिन केमिकल के असर को लेकर चिंताई जाहिर की गईं। इससे रूस में केमिकल पलूशन के मुद्दे ने भी रफ्तार पकड़ी।

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इस तरह का मामला सिर्फ रूस में देखने को नहीं मिला है। करीब चार साल पहले अगस्त, 2017 में मुंबई में प्रशासन को एक उत्पादन इकाई को तब बंद करना पड़ा जब उससे निकलने वाला कचरा और डाई पास की नदी में डाला जाने लगा और उससे करीब 11 कुत्ते नीले पड़ गए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पाया कि न सिर्फ पानी बल्कि हवा में फैले प्रदूषण का असर भी मासूम जानवरों पर हो रहा था।

विशेषज्ञों की माने तो इस तरह के केमिकल्स त्वचा पर जलन और खुजली तो कर ही सकते हैं, शरीर के अंदर खून भी निकल सकता है। समय पर इलाज न मिले तो गंभीर बीमारी के कारण जान भी जा सकती है।

 
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