35 सालों से महिला के पेट में पल रहा था भ्रूण! 4.5 पाउंड का ‘स्टोन बेबी’ देख हैरत में पड़े डॉक्टर्स

अल्जीरिया की एक 73 वर्षीय महिला के गर्भ में 'स्टोन बेबी' (Stone Baby)देखकर डॉक्टर हैरत में पड़ गए हैं। डॉक्टरों को एक्स-रे करने के बाद इसके बारे में पता चला

35 सालों से महिला के पेट में पल रहा था भ्रूण! 4.5 पाउंड का ‘स्टोन बेबी’ देख हैरत में पड़े डॉक्टर्स
Modified Date: November 29, 2022 / 08:56 pm IST
Published Date: December 27, 2021 4:44 pm IST

नई दिल्ली , 27 दिसंबर 2021। अल्जीरिया की एक 73 वर्षीय महिला के गर्भ में ‘स्टोन बेबी’ (Stone Baby)देखकर डॉक्टर हैरत में पड़ गए हैं। डॉक्टरों को एक्स-रे करने के बाद इसके बारे में पता चला, यह स्टोन 35 साल से महिला के गर्भ (Womb) में था। जांच के बाद पता चला कि ये स्टोन कुछ और नहीं बल्कि सात महीने का भ्रूण है।

read more:  देश के तीन बड़े सरकारी बैंकों में निकली बंपर भर्ती, इस तारीख तक कर सकते हैं आवेदन, देखें डिटेल

‘द सन’ में छपी खबर के मुताबिक, इससे पहले भी महिला का इलाज हो जुका है, लेकिन डॉक्टरों को कभी इसके बारे में पता नहीं चला, लेकिन इस बार जब महिला पेट दर्द की शिकायत लेकर डॉक्टरों के पास गई तो जांच के बाद पाया कि उसके गर्भ में एक भ्रूण है। 4.5 पाउंड वजनी ये सात महीने का भ्रूण 35 साल तक महिला के पेट में था, लेकिन इस भ्रूण से उसे कोई नुकसान नहीं हुआ, कभी-कभी मामूली दर्द जरूरी होता था।

 ⁠

हमारे 𝕎𝕙𝕒𝕥𝕤 𝕒𝕡𝕡 Group’s में शामिल होने के लिए यहां Click करें.

डॉक्टरों ने इसे एक लिथोपेडियन (Lithopedion) बताया और कहा कि ये तब बनता है जब प्रेग्नेंसी (Pregnancy) गर्भाशय के बदले पेट में बनती है, आमतौर पर जब प्रेग्नेंसी में खून की आपूर्ति नहीं होती है तो भ्रूण विकसित नहीं हो पाता, जिसके कारण शरीर के पास भ्रूण को बाहर निकालने का कोई तरीका नहीं होता है। जिसके बाद शरीर उसी प्रतिरक्षा प्रक्रिया (Immune process) का उपयोग करके भ्रूण को धीरे-धीरे पत्थर यानी स्टोन में बदल देता है। इसीलिए महिला के पेट में मिले भ्रूण को ‘स्टोन बेबी’ कहा गया।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com