अटारी सीमा पर महिला ने दिया बच्चे को जन्म, नवजात का नाम ‘बॉर्डर’ ही रख दिया

अटारी बॉर्डर पर बीते 70 दिनों से फंसे एक दंपति ने 2 दिसंबर को अपने बच्चे को जन्म दिया। बॉर्डर पर बच्चे का जन्म होने की वजह से इस दंपति ने नवजात का नाम ही 'बॉर्डर' रखा दिया।

अटारी सीमा पर महिला ने दिया बच्चे को जन्म, नवजात का नाम ‘बॉर्डर’ ही रख दिया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:12 pm IST
Published Date: December 6, 2021 1:37 pm IST

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नईदिल्ली। अटारी बॉर्डर पर बीते 70 दिनों से फंसे एक दंपति ने 2 दिसंबर को अपने बच्चे को जन्म दिया। बॉर्डर पर बच्चे का जन्म होने की वजह से इस दंपति ने नवजात का नाम ही ‘बॉर्डर’ रखा दिया। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के राजनपुर जिले के निवासी नींबू बाई और बलम राम अन्य पाकिस्तानी नागरिकों के साथ कई दिनों से बॉर्डर पर रह रहे हैं।

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नींबू बाई को 2 दिसंबर को प्रसव पीड़ा हुई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महिला को प्रसव पीड़ा में देख पास के पंजाब गांव से कई अन्य महिलाएं डिलीवरी में मदद के लिए पहुंची। अन्य सुविधाओं के अलावा स्थानीय लोगों ने मां और बच्चे के लिए चिकित्सकीय व्यवस्था भी की। नींबू बाई और बलम राम ने बताया कि भारत-पाक सीमा पर बच्चे का जन्म होने की वजह से उन्होंने अपने बच्चे का नाम बॉर्डर रख दिया।

महिला के पति ने बताया कि वह और अन्य पाकिस्तानी नागरिक भारत तीर्थ पर आए थे लेकिन आवश्यक दस्तावेज न होने की वजह से ये सब बॉर्डर पर ही फंस गए। यहां पर रह रहे 97 लोगों में से 47 बच्चे हैं। इनमें से छह बच्चों का जन्म भारत में हुआ और इनकी उम्र एक साल से कम है।

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बलम राम के अलावा, उसी टेंट में रहने वाले एक अन्य पाकिस्तानी नागरिक लाग्या राम ने भी अपने बेटे का नाम ‘भारत’ रखा है। उनका बेटा जोधपुर में साल 2020 में जन्मा था। लाग्या अपने भाई से मिलने जोधपुर आए थे लेकिन वापस पाकिस्तान नहीं जा सके। बता दें कि अटारी बॉर्डर पर अंतरराष्ट्रीय चेक पोस्ट के पास ये परिवार टेंट लगाकर रह रहे हैं।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com