Aditya L1 latest Updates
Aditya L1 Mission: नई दिल्ली। चंद्रयान-3 के बाद आज ‘आदित्य एल1’ मिशन से सूर्य को नमन की तैयारी है। भारत का सूर्य मिशन आदित्य एल-1 आज श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च होने जा रहा है। यह पहला मौका है जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सूर्य की स्टडी के लिए अपना मिशन भेज रहा है। चंद्रयान-3 की कामयाबी से इसरो के वैज्ञानिक बेहद उत्साहित हैं। यही वजह है कि अब बिना देरी किए वो सूर्य मिशन को कामयाब बनाने में जुटे हैं।
इसरो अपने सूर्य मिशन के जरिए सूरज की गतिशीलता का अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 सूर्य के कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करेगा। साथ ही वो इन-सीटू पार्टिकल और प्लाज्मा वातावरण का अध्ययन करेगा। यह सूर्य के वायुमंडल के सबसे बाहरी भाग की बनावट, तापमान प्रक्रिया, सौर तूफान की उत्पत्ति, कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट आदि की जांच करेगा।
कहां से आया आदित्य एल-1 नाम
इसरो के अनुसार, सूरज का संस्कृत मान आदित्य होता है, जिसे देखते हुए मिशन के नाम में आदित्य शब्द को जोड़ा गया. वहीं, एल-1 नाम सूरज की कक्षा से लिया गया है. दरअसल, सूरज के लैग्रेंज प्वाइंट-1 वाली कक्षा में रहते हुए भारत का सूर्य मिशन अपने सेटेलाइट के माध्यम से चक्कर लगाने वाला है. इसीलिए एल-1 नाम को इसमें जोड़ा गया।
कितने साल तक काम करेगा आदित्य एल-1
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के अनुसार एक सेटेलाइट की औसत उम्र पांच साल तक होती है, लेकिन ईंधन की खपत के आधार पर यह इससे भी लंबे वक्त तक काम कर सकता है. आदित्य एल-1 का 190 किलोग्राम का वीईएलसी पेलोड पांच साल तक पृथ्वी पर भारत के स्पेस सेंटर को सूरज की तस्वीरें भेजेगा।