अपनी कार्यशैली से चौंकाने वाले नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर चौंका दिया। इस बार चौंकने की बारी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बाशिंदों की रही। कल ही नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई और अगले ही दिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के भाजपा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी गई। पहली लिस्ट में मध्यप्रदेश के 39 और छत्तीसगढ़ के 21 उम्मीदवार शामिल हैं। उम्मीद से काफी पहले अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करके फिलहाल भाजपा ने मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है।
कल दिल्ली में हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस बात पर गहन मंथन हुआ था कि उन सीटों पर उम्मीदवारों की पहले घोषणा कर दी जाए जहां वो कमजोर स्थिति में है। इस सोच के पीछे की मुख्य वजह यही थी इससे ना केवल घोषित उम्मीदवार को अपनी चुनावी तैयारी का भरपूर समय मिल जाएगा बल्कि टिकट घोषित होने के बाद बगावत से होने वाले डैमेज को समय रहते कंट्रोल कर लिया जाएगा। इसी रणनीति पर अमल करते हुए मध्यप्रदेश की जिन 39 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए गए हैं उन लसभी पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। इनमें भी ज्यादातर वो सीटें हैं जहां वो लगातार दो बार से हार रही है। इन 39 उम्मीदवारों में से 26 नये चेहरे हैं जबकि 13 उम्मीदवारों को रिपीट किया गया है। इन घोषित उम्मीदवारों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के 13, अनुसूचित जाति के 8 और महिला कोटे से 5 प्रत्याशी शामिल हैं।
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मध्यप्रदेश के भाजपा प्रत्याशियों की लिस्ट में ध्रुवनारायण सिंह और प्रीतम लोधी जैसे कुछ चौंकाने वाले नाम भी शामिल हैं। ध्रुवनारायण सिंह एक्टिविस्ट शेहला मसूद हत्याकांड के आरोपी रह चुके हैं, जिन्हें बाद में सीबीआई जांच में क्लीन चिट मिल गई थी। कल ही शेहला मसूद की बरसी पर उनके समर्थकों और परिवारजनों ने ध्रुवनारायण सिंह को टिकट नहीं दिए जाने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया था। वहीं बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री और ब्राह्मणों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले प्रीतम लोधी को भी टिकट दे दी गई है, जबकि उन्हें अपने विवादित बयान के चलते निष्कासित किया जा चुका था। प्रीतम भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती के करीबी माने जाते हैं और माना जाता है कि उन्हीं के हस्तक्षेप के चलते वो टिकट पाने में कामयाब रहे। वहीं गोहद सीट पर सिंधिया समर्थक रणवीर जाटव का टिकट काट कर पार्टी ने अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को चुनाव मैदान में उतारा है।
छत्तीसगढ़ में तो भाजपा के सामने विपक्ष में रहने की वजह से एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए पुराने चेहरों को रिपीट नहीं करने की कोई मजबूरी भी नहीं थी। लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने यहां भी नये चेहरों पर दांव खेला है। 21 में से केवल लखन देवांगन ही इकलौते उम्मीदवार हैं जो पिछली बार भी चुवाव लड़े थे। हालांकि वो कटघोरा से चुनाव हार गए थे। इस बार उन्हें पार्टी कोरबा से आजमाया है। इसके अलावा राम विचार नेताम, विजय बघेल, श्रवण कुमार, वे तीन उम्मीदवार हैं जो 2018 से पहले कभी विधायक रह चुके थे। इनमें से विजय बघेल मौजूदा सांसद हैं, जिन्हें उस पाटन सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गढ़ मानी जाती है। भूपेश बघेल और विजय बघेल रिश्ते में चाचा-भतीजा हैं और पहले भी 2 बार चुनाव मैदान में आमने-सामने आ चुके हैं। 2008 में भतीजे ने चाचा को मात दे दी थी।
यानी संदेश साफ है भाजपा इस चुनाव को पूरी दमदारी से लड़ने जा रही है और किसी भी सीट को वो आसानी से हाथ से नहीं जाने देगी। पहली लिस्ट में 2 सीटें ऐसी भी हैं जहां से भाजपा ने अपने दो पूर्व मंत्रियों चंद्रशेखर साहू और रामसेवक पैकरा का पत्ता काट दिया है।
चुनाव से करीब ढाई महीने पहले ही भाजपा ने लिस्ट जारी करके साबित कर दिया कि उसकी तैयारी पुख्ता है। पार्टी के सबसे बड़े चेहरे नरेंद्र मोदी, भाजपा के चाणक्य अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा समेत प्रदेश चुनाव प्रभारियों और रणनीतिकारों का लगातार मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का दौरा नाहक ही नहीं हो रहा था। दोनों ही प्रदेशों में भाजपा के रणनीतिकारों की मैराथन बैठकों का दौर हो चुका है। अमित शाह तो दोनों ही प्रदेशों की राजधानियों में पिछले माह भर में दो बार शाम को पहुंचकर यहां रात गुजार चुके हैं। शाह न केवल यहां के चुनावी रणनीतिकारों को टास्क दे रहे थे बल्कि उनकी माइक्रो समीक्षा भी कर रहे थे। दोनों प्रदेशों में समय से काफी पहले लिस्ट जारी करके भाजपा ने ये संदेश दे दिया है कि वो इस बार एक नई रणनीति के साथ चुनावी महासमर में उतरने जा रही है। अब देखना है कि भाजपा की लिस्ट जारी होने से बने मनोवैज्ञानिक दबाव का जवाब कांग्रेस किस रूप में देती है।
सौरभ तिवारी, डिप्टी एडिटर, IBC24