अम्बिकापुर: एक तरफ़ लोकतंत्र का त्योहार मतदान तो वही दूसरी तरफ आस्था का महापर्व छठ। जी हां छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण में होने वाले मतदान की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। क्योंकि इसी दिन सूर्य उपासना के महापर्व छठ की भी शुरुवात हो रही है। छठ का आयोजन करने वाले समिति के लोग व छठ करने वाली महिलाये छठ के दिन मतदान करने के निकलने को लेकर संशय जताते हुए निर्वाचन आयोग से मतदान की तिथि बदलने की मांग कर रहे है।
दरअसल छठ का पर्व बड़े नियम कायदे से किया जाता ह, जिसकी शुरुवात इस बार 17 नवम्बर से ही हो रही है। नहाए-खाये के दिन व्रती महिलाये बाहर आना जाना नही करती साथ ही बिना सिले हुए कपड़े पहने जाते है। सरगुज़ा संभाग सहित छग में लाखों की संख्या में इस व्रत को करने वाले लोग मौजूद है, ऐसे में छठ के दिन व्रत करने वाली महिलाये बाहर निकलकर वोटिंग करने जाएंगी इसे लेकर संशय बना हुआ है।
व्रती महिलाओ के वोटिंग करने नही निकल पाने के कारण निर्वाचन आयोग की मंशा शत प्रतिशत मतदान में भी रोड़ा पैदा हो सकता है, यही कारण है कि व्रत करने महिलाओ व छठ पूजा का आयोजन करने वाली महिलाएं निर्वाचन आयोग से मतदान की तिथि बदलने की मांग कर रही है ताकि दोनों महापर्व आसानी से न सिर्फ सम्पन्न हो सके बल्कि दोनों ही पर्व में सभी लोग अपनी भूमिका निभा सके। ऐसे में देखना होगा कि जिस तरह से निर्वाचन आयोग ने अन्य राज्यो के मतदान तिथि में परिवर्तन किया है क्या उस तरह का निर्णय छत्तीसगढ़ में भी लिया जा सकता है या नही।