Chunavi Chaupal in Bhatapara : इस शहर को जिला न बनाना पड़ सकता है भारी, जनता बोली- जो नहीं करेगा ये काम, उसे हम नहीं देंगे वोट
Chunavi Chaupal in Bhatapara : इस शहर को जिला न बनाना पड़ सकता है भारी : Chunavi Chaupal in Bhatapara : Voters Opinion for 2023 Vidhan Sabha Election
Chunavi Chaupal in Bhatapara :
भाटापाराः Chunavi Chaupal in Bhatapara : साल 2023 मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए बेहद ही खास रहने वाला है। इस साल दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव होने को है। दोनों राज्यों के राजनीतिक पार्टियों ने इन दोनों राज्यों में चुनावी तैयारियों में जुट गई है। जनता को रिझाने की कोशिश राजनीतिक पार्टियां कर रही है।
Chunavi Chaupal in Bhatapara : इस चुनावी साल में IBC24 एक बार फिर आपके पास पहुंच रहा है। हम अपने कार्यक्रम चुनावी चौपाल के जरिए आपसे संवाद कर आपके मुद्दों को जानेंगे। हमारी टीम छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के भाटापारा नगर विधानसभा पर पहुंची और लोगों से वहां की समस्याओं और विधायक के प्रदर्शन को लेकर बातचीत की।
भाटापारा विधानसभा सीट पर चुनावी चौपाल
विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले की एक सीट है। जो केंद्रीय इलाके में पड़ता है। इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या करीब 2 लाख 23 हजार है। इनमें एक लाख 12 हजार महिला और एक लाख 10 हजार पुरुष मतदाता शामिल है। यहां कुल 136 पंचायतों में कुल 168 ग्राम हैं। जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा 55 प्रतिशत ओबीसी मतदाता है। इसके अलावा एसटी 18 प्रतिशत, एससी 16 प्रतिशत, अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या केवल 2 प्रतिशत है।
भाटापारा के लोगों की मांग रही है कि इसे एक अलग जिला घोषित किया जाए। सरकार ने इस मांग को पूरा तो किया लेकिन भाटापारा-बलोदाबाजार को ही एक जिला बना दिया। यानी अलग जिला नहीं बनाया गया। इसके बाद से यहां के लोगों में खासी नाराजगी देखने को मिली। स्वतंत्र जिला बनाने को लेकर कई तरह के आंदोलन भी हुए और ये सिलसिला आज भी जारी है।
2018 में जनता ने भाजपा पर जताया था भरोसा
2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बलौदाबाजार जिले की भाटापारा विधानसभा सीट से बीजेपी के शिवरतन शर्मा ने 12 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस के सुनील माहेश्वरी को हराया था। कांग्रेस के बागी और जनता कांग्रेस से चुनाव लड़े चैतराम साहू तीसरे नंबर पर रहे। 2018 के पहले हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो यहां पर बस दो उम्मीदवारों के बीच ही जंग चल रही थी। 2003 और 2008 में एक ओर जहां कांग्रेस के चैतराम साहू ने बीजेपी के शिवरतन शर्मा को हराया था, तो वहीं 2013 में शिवरतन ने कांग्रेसी प्रतिद्ंवदी को मात दी थी।
2013 विधानसभा चुनाव
शिवरतन शर्मा, बीजेपी, कुल वोट मिले 76137
चैतराम साहू, कांग्रेस, कुल वोट मिले 43797
2008 विधानसभा चुनाव
चैतराम साहू, कांग्रेस, कुल वोट मिले 58242
शिवरतन शर्मा, बीजेपी, कुल वोट मिले 52010
2003 विधानसभा चुनाव
चैतराम साहू, कांग्रेस, कुल वोट मिले 45398
शिवरतन शर्मा, बीजेपी, कुल वोट मिले 43453
इस बार क्या कहती है जनता
हमारी टीम ने जब भाटापारा विधानसभा की जनता से बात की तो एक स्थानीय नागरिकों ने एक सूर में कहा कि भाटापारा की सबसे बड़ी जरूरत जिला है। अभी तक तो स्वतंत्र जिला बन जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। एक वरिष्ठ व्यापारी ने कहा कि यहां सही मार्केटिंग व्यवस्था नहीं है, यहां होलसेल मार्केट कॉरिडोर होना चाहिए, जो नहीं है। पूरे हिंदुस्तान को अपने उत्पादों की सप्लाई करने वाले शहर में मार्केटिंग व्यवस्था नहीं है।
भाटापारा के मुद्दों के सवाल पर एक स्थानीय पत्रकार ने कहा कि हम भाटापारा को जिला बनाने के लिए 30 सालों से मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार की सुस्ती के चलते इसे स्वतंत्र जिला न बनाकर बलौदाबाजार के साथ अटैच कर दिया गया, जिससे यहां की जनता नाराज है। उन्होंने साफ किया कि जो जिला नहीं बनाएगा वह यहां से दोबारा चुनाव नहीं जीत पाएगा। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधा जितनी चाहिए, उतनी नहीं है, अभी भी इलाज के लिए दूसरे शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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