Chhattisgarh Karj Mafi 2023: दोबारा कर्जमाफी..जीत के लिए काफी? क्या बीजेपी के पास कर्जमाफी का कोई तोड़ है?
Chhattisgarh Karj Mafi 2023: दोबारा कर्जमाफी..जीत के लिए काफी? क्या बीजेपी के पास कर्जमाफी का कोई तोड़ है?
रायपुर। Chhattisgarh Karj Mafi 2023 बीते दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछली बार के आजमाए हुए ब्रम्हास्त्र ‘किसान कर्जमाफी’ को फिर लागू करने का ऐलान कर दिया है। इस घोषणा के बाद बीजेपी के तकरीबन सभी दिग्गजों ने इस पर बेहद सधे अंदाज में इसे चुनावी शिगूफा बताने का प्रयास किया। एक तरफ बीजेपी नेताओं का दावा है कि ये कांग्रेस का कोरा चुनावी दांव है जिसके झांसे में अब किसान नहीं आएंगे लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी वर्गवार, क्षेत्रवार चुनावी गणित लगाकर ये वादा दोहराया है, जिसके बाद कांग्रेस का दावा है कि इस वादे के बाद तो बीजेपी के लोग भी कांग्रेस को वोट देंगे। तो क्या है वो चुनावी गणित और क्या बीजेपी के पास इसका कोई तोड़ है।
Chhattisgarh Karj Mafi 2023 साल 2018 में किसान कर्जमाफी का दांव कामयाब रहा,सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के किसानों का 9270 करोड़ रुपये का अल्पकालीन कर्ज माफ कर वायदा पूरा किया। इसका लाभ 18 लाख 82 हजार किसानों को पहुंचा। उसी तर्ज पर मुख्यमंत्री एक बार फिर से कर्ज माफी का ऐलान कर चुके हैं।
अगर इस वायदे के पीछे के सियासी गणित को समझें तो इस साल 14 लाख 82 हजार किसानों ने सहकारी बैंक से कुल 6900 करोड़ से ज्यादा का कृषि ऋण लिया है, राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिए कृषि लोन जोडें तो आंकड़ा 12 हजार करोड़ तक पहुंचेगा।अगर मौजूदा हिसाब से कर्ज माफी हुई तो करीब 22 लाख किसानों को इसका लाभ होगा।
चूंकि बीते साल करीब साढ़े 23 लाख किसानों ने सहकारी समितियों में अपना धान बेचा, तो इस हिसाब से तकरीबन सभी पंजीकृत किसान वर्ग को इस कर्ज माफी से लाभ होना तय है। प्रदेश के करीब 24 लाख किसान हैं, अगर कर्जमाफी होती है तो इसका 82 फीसदी हिस्सा अकेले मैदानी संभंगों रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर के किसानों को मिलेगा। यानि इसका सीधा असर रायपुर संभाग की 20, दुर्ग संभाग की 20 और बिलासपुर संभाग की 24 विधानसभा सीट यानी कुल 64 सीटों पर हो सकता है। जो कि कुल 90 सीटों का दो-तिहाई से ज्यादा है।चुनावी गणित के हिसाब से देखें तो फिलहाल बस्तर की 12 और सरगुजा 14 सीटें कांग्रेस के पास हैं और अगर इन बड़े संभागों में कांग्रेस को अगर सीटों का नुक्सान हुओ तो उसकी भरपाई मैदानी इलाके में इस घोषणा से हो सकती है। कांग्रेस को पूरा भरोसा है कि उनके इस वायदे के बाद इस भाजपा वाले भी उन्हें वोट करेंगे, क्योंकि कर्ज माफी तो उनकी भी होगी।
इधर, कांग्रेस के दांव की भाजपा के पास कोई काट नजह नहीं आती। बात किसानों के हित की है तो वो भी इसका खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे, बस नपे-तुले शब्दों में कोरा चुनावी स्टंट बता रहे हैं। वैसे, कांग्रेस के इस कैलकुलेटेड चुनावी ब्रम्हास्त्र पर बीजेपी का ये कहकर निशाना साध रही है कि ना तो बीते 5 साल में, ना बीच के कोरोनाकाल में कर्जमाफी की, अब जब 2600 रुपये प्रति क्विंटल पर किसान धान बेच रहे हैं, तो कर्ज माफी की चुनावी दांव खेल रहे हैं…बहरहाल, सवाल तो ये है कि प्रदेश का सबसे बड़ा किसान वर्ग इस घोषणा में कितना भरोसा करता है, कितना लाभ देखता है?

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