Raja of Tripura Pradyot Kishore Manikya Debbarma : अगरतला। त्रिपुरा सहित अन्य दो पूर्वी राज्य मेघालय और मिजोरम में विस वोटिंग होने वाली है। भाजपा त्रिपुरा में जोरसोर से अपना प्रचार प्रसार कर रही है। बीजेपी ने त्रिपुरा में अपना घोषणा पत्र भी जारी कर दिया है। प्रदेश में हो रहे चुनाव में बीजेपी और लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही है, लेकिन इस बार सभी की निगाहें त्रिपुरा के राजवंश के उत्तराधिकारी प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा की टिपरा मोथा पार्टी पर टिकी हुई हैं, जो आदिवासी समुदाय के लिए ‘टिपरालैंड’ नाम से अलग राज्य की मांग कर रहे हैं।
Raja of Tripura Pradyot Kishore Manikya Debbarma : लेकिन इसी बीच प्रद्योत ने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन राजनीतिक संन्यास लेने की घोषणा कर दी, जिसे लेकर चर्चा तेज हो गई है। प्रद्योत ने मंगलवार को एक रैली में कहा, ’16 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद मैं राजनीति छोड़ दूंगा। राजनीतिक मंच पर यह मेरा आखिरी भाषण है और मैं विधानसभा चुनाव के बाद कभी बुबागरा (राजा) बनकर वोट नहीं मांगूंगा। इससे मुझे पीड़ा हुई, लेकिन मैंने आपके लिए एक कठिन लड़ाई लड़ी है’। सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह रही जिसके चलते त्रिपुरा राजपरिवार के प्रद्योत देबबर्मा ने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया और उनकी सियासी ताकत क्या है?
त्रिपुरा के राजा प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा का जन्म 4 जुलाई 1978 को त्रिपुरा के राजशाही परिवार में हुआ। उनके पिता किरीट बिक्रम किशोर देब बर्मा और उनकी मां बिभू कुमारी देवी हैं। प्रद्योत का बचपन शिलॉन्ग, मेघालय और त्रिपुरा के महलों में बीता है। प्रद्योत की पढ़ाई-लिखाई शिलॉन्ग में हुई थी। प्रद्योत ने अपना सियासी सफर का आगाज कांग्रेस से किया। कांग्रेस के टिकट पर उनकी मां और पिता दोनों ही सांसद रह चुके हैं। 2018 विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने त्रिपुरा की कमान उनको सौंपी थी, लेकिन वो इस पद पर ज्यादा दिन तक नहीं रह सके और एनआरसी मुद्दे के चलते इस पद से इस्तीफा दे दिया था।