IBC24 Bemisal Bastar
रायपुर। वैसे तो धरती को स्वर्ग कहा जाता है, लेकिन अगर बस्तर को छत्तीसगढ़ का स्वर्ग कहा जाए तो ये कहीं भी गलत नहीं होगा। बस्तर दुनिया भर में सिर्फ वनों के लिए नहीं बल्कि अपनी अनूठी सममोहक संस्कृति के लिए पहचाना जाता है। यहां के आदित जनजातियों की परंपराएं, लोकगीत, लोक नृत्य, स्थानीय भाषा, शिल्प एवं लोक कला की पूरी दुनिया कायल है। आज आईबीसी 24 ये जानने की कोशिश कर रहा है कि सरकार की सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा या नहीं। बता दें कि आईबीसी 24 सदा से जनता की आवाज और जनहित की बात सरकार तक पहुंचाने का माध्यम बना है और हमेशा इस बात पर अडिग रहेगा कि ‘सवाल आपका है’
आतंक, डर और पिछड़ापन… कभी यही सुकमा की पहचान हुआ करते थे। सुकमा की बात हो तो सबसे पहले नक्सलियों का डर जहन में उतरता था। इलाके इतने अनछुए और सुदूर थे कि सरकारी योजनाएं पहुंचाने के बारे में सोचना भी दूर की बात हुआ करती थी। लेकिन, समय बदला है सुकमा की पहचान भी बदली है। अब बात होती है तो सिर्फ विकास पहुंचाने की, किसी भी इलाके में विकास पहुंचाने की सबसे पहली कड़ी सड़क ही होती इसलिए पहले सड़क पर ध्यान केंद्रित किया गया। कभी सुकमा जिले के 80 प्रतिशत इलाक़े पहुंच विहीन होते थे, पर ये बात बीते दिनों की है। अब तेजी से सुकमा में बनाए जा रहे सड़क से अंदरूनी इलाके सीधे देश दुनिया से जुड़ने लगे हैं।
दरअसल, सुकमा कलेक्टर हरिस एस. ने जिले के अंदरूनी इलाक़ों तक सड़कों का जाल बिछाने कठोर रणनीति बनाई और एसपी किरण चव्हाण ने सड़क निर्माण में नक्सली खलल को रोकने का जिम्मा उठाया, फिर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और PWD ने अलग अलग सड़कों का निर्माण शुरू कराया। पहले फ़ेस में मुख्य सड़कों से लगे इलाक़े को टार्गेट कर सड़कों का निर्माण प्रारंभ कराया गया, जिसमें सफलता मिलते ही अंदरूनी इलाकों को देश दुनिया से सीधे जोड़ने के लिए सड़कों का निर्माण शुरू कराया गया, जिससे शासन की कल्याणकारी योजनाएं अंदरूनी इलाक़ों के आदिवासियों तक आसानी से पहुंचने लगी हैं।