बिहार सरकार ने प्राकृत एवं पाली अकादमियों के गठन की प्रक्रिया शुरू की

बिहार सरकार ने प्राकृत एवं पाली अकादमियों के गठन की प्रक्रिया शुरू की

  •  
  • Publish Date - December 11, 2025 / 03:38 PM IST,
    Updated On - December 11, 2025 / 03:38 PM IST

पटना, 11 दिसंबर (भाषा) बिहार सरकार ने प्राकृत और पाली भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन और शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो नई भाषा अकादमियों–प्राकृत अकादमी और पाली अकादमी के गठन की प्रक्रिया शुरू की है।

मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग द्वारा 10 दिसंबर को जारी की गयी अधिसूचना के अनुसार, ये दोनों अकादमियां नवनिर्मित उच्च शिक्षा विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करेंगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में युवा, रोजगार एवं कौशल विकास, उच्च शिक्षा तथा नागरिक उड्डयन—ये तीन नए विभाग बनाने के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

राज्य में पहले से संचालित विभिन्न भाषा अकादमियों को भी उच्च शिक्षा विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में लाया गया है।

अधिसूचना में कहा गया, “उच्च शिक्षा विभाग को सौंपे गए कार्यों में शामिल हैं: सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक एवं अन्य क्षेत्रों में विश्वविद्यालय स्तर के शोध कार्य से जुड़े संस्थानों का प्रशासनिक नियंत्रण… तथा संस्कृत अकादमी, प्राकृत अकादमी, पाली अकादमी जैसी भाषा अकादमियों का गठन।”

विशेषज्ञों का कहना है कि संस्कृत के आधुनिक रूपों के अस्तित्व में आने से पहले भारत की शास्त्रीय भाषा से विकसित मध्य-इंडो-आर्यन भाषाओं के समूह को प्राकृत कहा जाता है। ये प्राचीन काल की बोलचाल की भाषाएं थीं, जिनमें से कई समय के साथ महत्वपूर्ण बनीं।

इस समूह की सबसे प्रसिद्ध भाषा पाली है, जो आज भी श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म की धर्मग्रंथीय भाषा के रूप में प्रयुक्त होती है। सौरसेनी, मागधी और गांधारी जैसी अन्य प्राकृत भाषाएं हिंदू और बौद्ध परंपराओं के साहित्यिक पहलुओं को समेटे हुए हैं।

सरकार के इस निर्णय पर सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता नीरज कुमार ने ‘भाषा’ से कहा, “मैं कहना चाहता हूं कि पाली और प्राकृत भाषाएं भारत की संस्कृति की जड़ हैं। हमारे दूरदर्शी नेता नीतीश कुमार का इन दोनों भाषाओं के लिए अकादमी गठित करने का निर्णय ऐतिहासिक है।”

उन्होंने कहा, “इसका भारत की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि बिहार वह भूमि है जो बुद्ध और उनके उपदेशों की अमर विरासत को संजोए हुए है।”

भाषा कैलाश

राजकुमार

राजकुमार