Bihar Voter List. image source: file image
पटना: Bihar Voter List update, बिहार में आने वाले विधानसभा चुनावों से पूर्व मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव किए जा रहे हैं। अब इस बात को लेकर विपक्षी दलों ने गंभीर आपत्ति जताई है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन से जुड़े कई राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और आशंका जाहिर की है कि इस प्रक्रिया के चलते करीब दो करोड़ मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हट सकते हैं।
इलेक्शन कमीशन ने मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए ‘विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान 2025’ शुरू किया है। इस अभियान के जरिए मतदाताओं से पहचान के लिए कुछ दस्तावेजों की मांग की जा रही है। लेकिन इस बार आयोग ने आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस और मनरेगा कार्ड जैसे अब तक मान्य दस्तावेजों को अस्वीकार कर दिया है। यही वजह है कि विपक्षी पार्टियों ने इसे जनविरोधी और अलोकतांत्रिक बताया है।
नए नियमों के अनुसार, वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने या सत्यापन के लिए केवल 11 दस्तावेज मान्य किए जाएंगे।
1. सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगियों का पहचान पत्र
2. पासपोर्ट
3. 1 जुलाई 1987 से पहले जारी बैंक, डाकघर या एलआईसी का प्रमाण पत्र
4. जन्म प्रमाण पत्र
5. शैक्षिक प्रमाण पत्र (मान्यता प्राप्त बोर्ड/विश्वविद्यालय से)
6. स्थाई निवास प्रमाण पत्र
7. वन अधिकार पत्र
8. जाति प्रमाण पत्र
9. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC)
10. भूमि या मकान आवंटन प्रमाण पत्र
11. पारिवारिक रजिस्टर (राज्य सरकार या स्थानीय निकाय द्वारा तैयार)
इसे लेकर इलेक्शन कमीशन ने बूथ लेवल ऑफिसरों (BLOs) को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर पहचान सुनिश्चित करें। यह कार्य 26 जुलाई 2025 तक पूरा करना होगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान किसी को बाहर करने के लिए नहीं, बल्कि पात्र मतदाताओं को जोड़ने के लिए चलाया जा रहा है। उन्होंने इसे पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में 22 वर्षों के बाद ऐसा व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य है वोटर लिस्ट को अधिक सटीक और अद्यतन बनाना।
बिहार के बाद यह प्रक्रिया असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी लागू की जाएगी, जहां अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं।
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