दो बार मृत घोषित किये गए बेटे से मिलने को लेकर आशान्वित है बिहार की महिला |

दो बार मृत घोषित किये गए बेटे से मिलने को लेकर आशान्वित है बिहार की महिला

दो बार मृत घोषित किये गए बेटे से मिलने को लेकर आशान्वित है बिहार की महिला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 06:30 PM IST, Published Date : September 27, 2022/9:29 pm IST

पटना/गया, 27 सितंबर (भाषा) बिहार के गया जिले की 27 वर्षीय महिला एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, अपने बेटे को वापस पाने को लेकर आशान्वित है, जो 2015 में उसके पति की कथित हत्या के बाद उससे अलग हो गया था। उस समय महिला का बेटा पांच महीने का था।

मुन्नी देवी के सात वर्षीय बेटे का ‘मृत्यु प्रमाणपत्र’ दो बार पटना उच्च न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, पुलिस को वह बाद में महिला के ससुराल वालों के साथ मिला और वह अब एक बाल कल्याण गृह में है।

महिला ने अपने पति की कथित हत्या के मामले में जेल से बाहर आने के बाद अपने बेटे की ‘कस्टडी’ (अभिरक्षा) का अनुरोध करते हुए पटना उच्च न्यायालय का रुख किया था। उसने यह साबित करने के लिए अदालत के सामने अपने बच्चे की वर्तमान तस्वीरें पेश की कि वह जीवित है।

महिला के वकील अविनाश कुमार सिंह ने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति पूर्णेंदु सिंह की खंडपीठ ने 12 सितंबर को अपने मौखिक आदेश में कहा कि अदालत मुख्य रूप से बच्चे की सुरक्षा से चिंतित है।’

अदालत के आदेश के बाद बच्चे का पता लगाया गया और अब उसे गया के बाल कल्याण गृह में रखा गया है।

मुन्नी देवी ने पीटीआई-भाषा को फोन पर बताया, ‘‘पटना उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही मैं 11 अक्टूबर को मामले की सुनवाई की अगली तारीख के बाद अपने बेटे से मिल पाऊंगी जो अब सात साल का है। मेरा पांच महीने का बेटा तब मुझसे अलग हो गया था, जब मुझे 2015 में मेरे पति की कथित हत्या के सिलसिले में जेल भेजा गया था।’’

हालांकि, अदालत ने अपने हालिया आदेश में केवल 11 अक्टूबर को मामले की सुनवाई की अगली तारीख तय की और यह नहीं कहा कि याचिकाकर्ता उस दिन अपने बेटे के साथ फिर से मिल सकेगी।

मुन्नी देवी ने कहा, ‘‘जब मैंने अपने बेटे की ‘कस्टडी’ मांगी तो मुझे बताया गया कि जेल भेजे जाने के तुरंत बाद उसकी मृत्यु हो गई थी। पुलिस, नगर पालिका अधिकारियों और स्थानीय पंचायत की कथित मिलीभगत से मेरे ससुराल वालों ने उसका (पुत्र) जाली मृत्यु प्रमाणपत्र अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया। उसका जाली मृत्यु प्रमाणपत्र दो बार अदालत में पेश किया गया।’’

गया के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि फर्जी दस्तावेज के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है।

महिला ने कहा, ‘‘हालांकि मुझे पता था कि मेरा बेटा जीवित है और अपने दावे को साबित करने के लिए सबूत पेश किए।’’

अदालत ने कहा कि बच्चा ‘‘जिसकी तस्वीर रिकॉर्ड में लाई गई’’ है शायद परिस्थितियों का पीड़ित है।

भाषा सं अनवर रंजन अमित

अमित

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)