नीतीश ने विपक्षी गठबंधन ‘‘इंडिया’’ की सक्रियता थमने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया
नीतीश ने विपक्षी गठबंधन ‘‘इंडिया’’ की सक्रियता थमने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया
पटना, दो नवंबर (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की सक्रियता थमने के लिए इसके प्रमुख घटक दल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि देश की सबसे पुराने दल को फिलहाल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में दिलचस्पी है और उसे विपक्षी मोर्चे को आगे बढ़ाने की चिंता नहीं है।
जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेता कुमार ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की ओर से आयोजित ‘‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’’ रैली के दौरान यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद कांग्रेस खुद सभी विपक्षी दलों को बुलाएगी।
भाकपा महासचिव डी राजा जैसे वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में बिहार के मुख्यमंत्री कुमार ने याद दिलाया कि केंद्र सरकार का विरोध करने वाले दल नया गठबंधन बनाने के लिए एकसाथ आए थे। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में उस मोर्चे पर बहुत प्रगति नहीं हुई है और लगता है कि कांग्रेस को पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में अधिक रुचि है।
कुमार ने कहा, ‘‘अभी तो काम ज्यादा नहीं हो रहा है, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। कांग्रेस पार्टी को तो उसी में ज्यादा दिलचस्पी है। कांग्रेस पार्टी को आगे रखकर इसे (इंडिया गठबंधन को) बढ़ाने के लिए हम सब एकजुट होकर काम कर रहे थे लेकिन उनको इन सबकी चिंता नहीं है। अभी पांच राज्यों के चुनाव में लगे हुए हैं। चुनाव हो जाएगा तो अपने आप सबको बुलाएंगे। अभी तो चर्चा नहीं हो रही है।’’
कुमार ने जून में यहां विपक्षी नेताओं की पहली बैठक की मेजबानी की थी। इसी बैठक के बाद नए गठबंधन के लिए माहौल तैयार हुआ था।
नीतीश कुमार के रैली को संबोधित करने के बाद वहां से रवाना हो जाने पर डी राजा ने अपने संबोधन में भाजपा विरोधी दलों को एकसाथ लाने में जदयू नेता नीतीश कुमार की भूमिका की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप ‘इंडिया’ गठबंधन बना।
बाद में नीतीश कुमार द्वारा कांग्रेस की आलोचना करने संबंधी टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर राजा ने स्वीकार किया कि ‘‘सीट बंटवारे में कठिनाइयाँ’’ थीं, जिसके कारण जदयू और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी जैसे घटक दलों को उन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने पड़े, जहां कांग्रेस चुनाव लड़ रही है।
भाकपा नेता ने कहा, ‘‘हमने कांग्रेस नेतृत्व से बात की है और अपने इस विचार से अवगत कराया है कि भारत में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उसे अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए और कनिष्ठ सहयोगियों के प्रति अधिक उदार होना चाहिए। हालांकि, किसी भी गठबंधन में सीट बंटवारे में समस्याएं हमेशा अपरिहार्य होती हैं।’’
भाकपा नेता राजा ने हालांकि यह भी कहा, ‘‘इन छोटे मतभेदों ने हमारी संयुक्त रूप से भाजपा से लड़ने, उसे सत्ता से बाहर करना और धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक सरकार बनाने की राजनीतिक दृष्टि को धूमिल नहीं किया है। हम अगले लोकसभा चुनाव में सफल होंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर सर्वेक्षणों में यह स्पष्ट है कि जनता का मूड भाजपा के खिलाफ है। जनता का यह मूड विधानसभा चुनावों के नतीजों में दिखाई देगा और हम लोकसभा चुनाव में भी इसी गति को बनाए रखेंगे।’’
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बाद में रैली को संबोधित किया और अपने पिता एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद के नेहरू-गांधी परिवार के साथ व्यक्तिगत समीकरणों के चलते कांग्रेस की आलोचना करने से परहेज किया। हालांकि उन्होंने आशा व्यक्त की, जैसा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक घंटे पहले कहा किया था, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव थमने के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन में नयी गति आएगी।
कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता इस रैली में नहीं शामिल हुआ। हालांकि पार्टी ने बाद में एक बयान जारी करके कहा कि बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह पटना से बाहर थे, इसलिए वरिष्ठ नेता कृपानाथ पाठक को पार्टी प्रतिनिधि के रूप में इस रैली में भेजा गया था।
भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के बारे में नीतीश कुमार की टिप्पणी इस बात का सबूत है कि ‘इंडिया’ गठबंधन विफल हो गया है।
बिहार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने एक बयान में दावा किया कि जद (यू) नेता द्वारा पिछले साल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) छोड़ने की गलती का देरी से एहसास होने के बाद कुमार ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
रैली को माकपा और भाकपा माले के राज्य स्तरीय नेताओं ने भी संबोधित किया और इस रैली में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें नरेन्द्र मोदी सरकार पर लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरा पैदा करने का आरोप लगाया गया।
प्रस्ताव में यह भी आरोप लगाया गया कि मोदी सरकार महात्मा गांधी द्वारा अपनाए गए आदर्शों का पालन नहीं कर रही है और व्यक्ति विशेष को महिमामंडित करने में लगी हुई है जिसका उदाहरण ‘‘नमो भारत’’ ट्रेन है।
भाषा अनवर अमित
अमित

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