Contract Employees Regularization News Today

Contract Employees Regularization News Today: एक भी संविदा कर्मचारी नहीं रहेगा अनियमित, नियमितीकरण को लेकर बड़ा फैसला, सरकार ने अधिकारियों को दिए ये निर्देश

Contract Employees Regularization News Today: एक भी संविदा कर्मचारी नहीं रहेगा अनियमित, नियमितीकरण को लेकर बड़ा फैसला, सरकार ने अधिकारियों को दिए ये निर्देश

Edited By :  
Modified Date: May 12, 2025 / 09:58 AM IST
,
Published Date: May 12, 2025 9:58 am IST
HIGHLIGHTS
  • 50 हजार संविदा कर्मियों को मिलेगा स्थायी दर्जा
  • सामान्य प्रशासन विभाग की दो उच्च स्तरीय बैठकें पूरी
  • वेतन, प्रमोशन, पेंशन और स्थानांतरण जैसे सभी लाभ मिलेंगे सरकारी कर्मियों की तरह

पटना: Contract Employees Regularization News Today संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्दा अब देशव्यापी बनते जा रहा है। देशभर से नियमितीकरण की मांग उठने लगी है। ये मुद्दा देश के उच्च सदन राज्यसभा तक पहुंच चुका है। हालांकि कई राज्य ऐसे हैं जहां की सरकार ने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर पहल की है। इसी बीच खबर आ रही है कि सभी संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर सरकार ने फैसला ले लिया है। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में दो अहम बैठकें हो चुकी है।

Read More: Guna Road Accident: गुना में भीषण सड़क हादसा! बारात से लौट रही कार पलटी, 4 की मौत, 3 गंभीर घायल

Contract Employees Regularization News Today मिली जानकारी के अनुसार आगामी दिनों में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है, जिसके लिए प्रदेश सरकार तैयारी कर रहा है। चुनाव से पहले सरकारी और संविदा कर्मचारियों को लुभाने के लिए सरकार कई अहम फैसले लेने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि हाल ही में सीएम नीतीश सरकार और अधिकारियों के बीच दो बैठकें हुईं हैं जिसमें संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर चर्चा हुई है।

संविदाकर्मियों की मांगों को लेकर पूर्व मुख्य सचिव एके चौधरी की अध्यक्षता में उच्च समिति का गठन 24 अप्रैल 2015 को किया गया था। इस समिति का शुरुआती कार्यकाल 3 महीने का था, लेकिन साल-दर-साल दर्जनों कार्यकाल विस्तार के साथ समिति 2020 तक काम करती रही। कमेटी ने संविदा कर्मियों की संविदा सीमा 60 साल तक करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे सरकार ने मान लिया था, लेकिन सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं दे पाई थी। अब सरकारी कर्मचारी बनाने का ऐलान हो सकता है।

Read More: Today News Live Update 1 May 2025: पीएम मोदी ने किया वेव्स अवॉर्ड्स का ऐलान, कहा- भारत के पास कहानियों का खजाना… एयरस्पेस बंद होने से पाकिस्तान में खलबली, वक्फ कानून पर आज जनजागरण अभियान, जानें देशभर की बड़ी खबरें

बात करें प्रदेश में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की तो यहां बिहार में सीएम सचिवालय से लेकर प्रखंड स्तर पर 50 हजार से अधिक कर्मी ठेके पर तैनात हैं। चुनाव से पहले सरकार इन्हें सरकारी कर्मी का दर्जा देगी। सामान्य प्रशासन विभाग के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इस पर दो दौर की बैठकें हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार, डाटा एंट्री ऑपरेटर को क्लर्क पद पर सैटल किया जा सकता है।

नियमितीकरण के बाद मिलेंगे ये फायदे

  • LDC यानी लोअर डिवीजन क्लर्क कहा जाएगा।
  • इनका वेतनमान मैट्रिक्स लेवल-4 का हो जाएगा। यानी मूल वेतन वेतन 25,500 रुपए से 81,100 रुपए तक हो सकता है
  • हर साल इंक्रीमेंट का फायदा होगा
  • साल में दो बार DA इजाफा होगा और 8 साल पर प्रमोशन मिलेगा
  • सरकारी सेवा के दौरान मौत पर पति, पत्नी या बच्चे को सरकारी नौकरी मिलेगी
  • सरकारी क्वार्टर या फिर हाउस रेंट मिलेगा
  • अंतर जिला और जिले के अंदर ट्रांसफर
  • न्यू पेंशन स्कीम के तहत बिहार सरकार मूल वेतन और महंगाई भत्ता को जोड़कर उसके कुल राशि का 14 प्रतिशत योगदान मिलेगा

Read More: Ambikapur Murder News: अंबिकापुर में भी मेरठ जैसा हत्याकांड.. आशिक के साथ मिलाकर मंगेतर को उतारा मौत के घाट और फिर..

क्या बिहार में सभी संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण हो रहा है?

जी हां, बिहार सरकार ने "एक भी संविदा कर्मचारी नहीं रहेगा अनियमित" के सिद्धांत पर काम शुरू कर दिया है, दो दौर की बैठकें पूरी हो चुकी हैं।

संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के बाद उन्हें क्या लाभ मिलेगा?

नियमितीकरण के बाद मैट्रिक्स लेवल-4 का वेतन, पेंशन, प्रमोशन, ट्रांसफर, क्वार्टर और मृत्यु पर आश्रित को नौकरी जैसी सुविधाएं मिलेंगी।

कौन-कौन से पद संविदा से नियमित किए जाएंगे?

मुख्य रूप से डाटा एंट्री ऑपरेटर को लोअर डिवीजन क्लर्क (LDC) पद पर समायोजित किए जाने की योजना है।

यह फैसला कब लागू होगा?

फिलहाल दो दौर की बैठकें पूरी हो चुकी हैं, जल्द ही सरकार इसकी आधिकारिक घोषणा कर सकती है।

क्या यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़ा है?

सूत्रों के अनुसार, चुनाव से पहले यह फैसला सरकार की रणनीति का हिस्सा है, ताकि कर्मचारियों का भरोसा और समर्थन हासिल किया जा सके।