Bihar India Alliance Seat Sharing: सीट शेयरिंग पर फंस गया राजद-कांग्रेस का पेंच?.. सहयोगी दलों को ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं लालू की पार्टी!..
इंडिया गठबंधन में रालोजपा, वीआईपी और झामुमो जैसी बड़ी पार्टियां भी शामिल हैं, जो लगातार अपने लिए ज्यादा सीटों की मांग कर रही हैं। इस बीच एक खबर यह भी आई है कि कांग्रेस ने जिन सीटों का चयन किया है, उनमें ज्यादातर सीटें ऐसी हैं जहां अति पिछड़ा और मुस्लिम वर्ग के मतदाता अधिक हैं।
Bihar India Alliance Seat Sharing || Image- IBC24 News File
- राजद नहीं देना चाहती ज्यादा सीटें
- कांग्रेस की नई चुनावी रणनीति
- छोटे दलों का बढ़ा दबाव
Bihar India Alliance Seat Sharing: पटना: बिहार में इसी साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं। पूरे देश की नजर इस चुनाव पर है। सियासी दलों के बड़े नेताओं ने चुनावी रैलियों की भी शुरुआत कर दी है। पिछले दिनों इंडिया गठबंधन के राजद, कांग्रेस और दूसरे दलों ने बिहार में वोटर अधिकार यात्रा का आयोजन करते हुए सत्ताधारी भाजपा पर वोट चोरी के आरोप लगाए थे। बिहार में होने वाला यह इलेक्शन, केंद्रीय चुनाव आयोग के एसआईआर के फैसले की वजह से और भी दिलचस्प हो गया है। चुनाव से ठीक पहले राजद और कांग्रेस भाजपा पर संभावित हार की आशंका से मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काटने के आरोप लगा रही हैं। यह पूरा मामला कोर्ट तक भी पहुंचा जहां अदालत ने इस पर फैसले लिए हैं।
कांग्रेस का खराब प्रदर्शन अलायंस की बड़ी समस्या
बहरहाल, हम बात कर रहे हैं इंडिया अलायंस की चुनावी रणनीति और सीटों के बंटवारे पर। दरअसल, खबर आई है कि लंबे वक्त से सीट शेयरिंग को लेकर इंडिया गठबंधन के दलों के बीच रायशुमारी जारी है, लेकिन इन दलों के बीच बात बनती हुई नजर नहीं आ रही है। बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद अपने प्रमुख सहयोगी कांग्रेस के साथ चुनाव जरूर लड़ने जा रही है लेकिन वह कांग्रेस के पुराने प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें इस बार ज्यादा सीटें देने के मूड में बिल्कुल नहीं है। दोनों दलों के बीच असहमति का यही प्रमुख कारण भी है।
बात अगर साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव की करें तब भी राजद और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। तब सत्ताधारी पार्टी जदयू भी इस अलायंस में शामिल थी। तब कांग्रेस को 70 सीटें दी गई थीं लेकिन उनके महज 19 ही जीत सके थे। उनमें से दो विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। ऐसे में अब पार्टी के पास केवल 17 विधायक बचे हैं। जाहिर है राजद अब इस दफे कोई रिस्क लेना नहीं चाहती। फिलहाल बिहार विधानसभा की कुल सीटों में आरजेडी के 75, भाजपा के 74, जेडीयू के 43, कांग्रेस के 17 और अन्य दलों के पास 32 सीटें हैं।
छोटे दलों ने भी बनाया ज्यादा सीटों का दबाव
Bihar India Alliance Seat Sharing: सूत्रों की मानें तो राजद और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर कई दौर की चर्चा हो चुकी है, लेकिन बिहार चुनाव में इस बार कांग्रेस की रणनीति बदली हुई है, लिहाजा कांग्रेस पार्टी पिछली बार हारी 51 सीटों में से 37 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार नहीं है। इन 37 में से 21 तो वैसी सीटें हैं, जिन पर 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस समेत महागठबंधन के उम्मीदवार जीत नहीं पाए थे। वहीं 15 सीटें ऐसी हैं जिन पर साल 2015 में महागठबंधन के साथ लड़कर जदयू ने जीत दर्ज की थी। 2020 में ये सीटें कांग्रेस के खाते में गईं और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। इन सीटों में फुलपरास, सुपौल, बिहारीगंज, सोनबरसा, कुशेश्वर स्थान, बेनीपुर, कुचायकोट, वैशाली, बेलदौर, हरनौत, सुलतानगंज, अमरपुर, राजगीर, नालंदा और टिकारी शामिल हैं।
बात अगर सहयोगी दलों के अलावा अन्य पार्टियों की करें तो इंडिया गठबंधन में रालोजपा, वीआईपी और झामुमो जैसी बड़ी पार्टियां भी शामिल हैं, जो लगातार अपने लिए ज्यादा सीटों की मांग कर रही हैं। इस बीच एक खबर यह भी आई है कि कांग्रेस ने जिन सीटों का चयन किया है, उनमें ज्यादातर सीटें ऐसी हैं जहां अति पिछड़ा और मुस्लिम वर्ग के मतदाता अधिक हैं। कांग्रेस इन सीटों के सहारे अपनी जीत सुनिश्चित करने में जुटी है जबकि इनमें से कई सीटें राजद की परंपरागत सीटें हैं। जाहिर है राजद ऐसी सीटों से समझौता नहीं करेगी। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने इन सीटों पर अपने उम्मीदवारों के साथ चर्चा भी शुरू कर दी है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक और किस तरह से इंडिया अलायंस के दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो पाता है।

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