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#NindakNiyre: मुसलमानों के वोट से जीती कर्नाटक कांग्रेस नरेशन पड़ न जाए भारी, संभलकर हैंडल कीजिए जीत को

NindakNiyre: by barun sakhaji: जब कोई दल जीतता है तो मीडिया उसके रणनीतिकारों, घोषणापत्र, नेताओं, पार्टी सबको कोई न कोई क्रेडिट देने लगता है और जब कोई हारता है तो उसके कारण भी खोजने लगता है। लेकिन इसमें एक चूक होती है।

Edited By :   Modified Date:  May 15, 2023 / 05:27 PM IST, Published Date : May 15, 2023/5:22 pm IST

बरुण सखाजी. राजनीतिक विश्लेषक

कर्नाटक में कांग्रेस की बड़ी जीत है। लेकिन क्या भाजपा की बड़ी हार भी है। 2 और 2 चार की तरह यह सीधी बात है, कि भाजपा की हार है। लेकिन बड़ी हार नहीं है। क्योंकि भाजपा ने सिर्फ अपने शून्य दशमलव 35 फीसद वोट ही गंवाए हैं, सीटें 38 कम हो गईं। 2013 में येदियुरप्पा की बगावत के बाद भाजपा सिर्फ 20 परसेंट वोट और 40 सीट पर आ गिरी थी। इस स्थिति में 2023 की यह हार बड़ी हार न होकर सिर्फ राजनीतिक हार है।

जब कोई दल जीतता है तो मीडिया उसके रणनीतिकारों, घोषणापत्र, नेताओं, पार्टी सबको कोई न कोई क्रेडिट देने लगता है और जब कोई हारता है तो उसके कारण भी खोजने लगता है। लेकिन इसमें एक चूक होती है। वह चूक यह है कि मीडिया उसी बात को जीतने की वजह बताता है और उसी को हार की। कर्नाटक में भी यही हो रहा है। अगर भाजपा कुछ सीटें भी ठीक हासिल कर लेती तो मीडिया अमित शाह को चाणक्य और मोदी का महानायक बताते थकता नहीं। अब जब कांग्रेस ने जीत हासिल की है तो वह इसमें भी नायक खोज ही रहा है। और उन्हीं अमित शाह और मोदी को अब फुका हुआ कारतूस की तरह देखने लगा है।

सियासत में हर कोई एक दिन फुका हुआ कारतूस होता है। इसमें कोई शक नहीं कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी भी फुके कारतूस हो जाएंगे। लेकिन कर्नाटक चुनाव के मौजूदा नतीजों के कारण अभी ऐसा नहीं हुआ है।

दरअसल कर्नाटक के नतीजों ने जनता दल सेकुलर को झकझोर कर रख दिया है। 2013 से ही अपने वोट गंवा रहे जदस के सामने बड़ा संकट है। वह अपने साढ़े 5 परसेंट वोटों को 2023 के इन चुनावों में गंवा बैठा है। यह सबके सब कांग्रेस को शिफ्ट हुए हैं। देश के अनेक राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं यह सारे वोट मुस्लिमों के हैं। कांग्रेस भी ऐसा मान रही है और भाजपा तो इसे प्रचारित करना ही चाहती है। इस ट्रैप में कांग्रेस फंस गई है। यह सारे वोट मुसलमानों के हैं तो भाजपा चाहेगी कि 2019 में हिंदुओं को भी इसके जवाब में एकजुटता दिखानी चाहिए। कांग्रेस इस ट्रैप को समझे बिना जीत के जश्न में इस नरेशन को बढ़ने से रोक नहीं रही। वह जानती है इस नरेशन का फायदा तेलंगाना में उसे मिल सकता है। लेकिन मुट्ठीभर मुसलमानों वाले प्रदेश राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में क्या होगा, यह नहीं सोच रही। इसके अलावा देश में क्या होगा यह भी नहीं समझा जा रहा।

इन नतीजों के दो बड़े टेकअवे हैं। पहला तो यह कि मुसलमानों के इकतरफा वोट से कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार बनाई है, लेकिन हिंदुओं ने भी उसे भरपूर समर्थन दिया है। दूसरा यह कि देश में कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन की जो बात है उसे धक्का लगेगा। क्योंकि इसमें सबसे बड़ी लूजर जदस ही बनकर उभरी है।

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