Vyasvani With Hitesh Vyas
देश में इस वक्त सनातन को लेकर दिए गए बयानों पर विवाद और बहस जारी है। (Vyasvani With Hitesh Vyas) विवाद शुरू हुआ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य DMK सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन की एक विवादित टिप्पणी के बाद जिसमें उदयनिधि डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों से सनातन को जोड़कर उसके नाश की बात करते सुनाई पड़े। बयान का वीडियो सामने आते ही प्रतिक्रियाओं का सैलाब आ गया। विवाद की आग में डीएमके के एक और नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री डी राजा ने भी विवादित बयान देकर घी डाल दिया। ऐसे में इस विवाद और बहस के बीच कई सवाल खड़े होते हैं,
– उदयनिधि ने सामाजिक बुराइयों के लिए सनातन धर्म को जिम्मेदार क्यों ठहराया?
– क्या सनातन धर्म से उदयनिधि और राजा का मतलब हिंदू धर्म से है?
– क्या सनातन धर्म जाति व्यवस्था और पितृसत्ता का समर्थन करता है?
– क्या हिंदू धर्म ‘ब्राह्मणवाद’ का पर्याय है?
ऐसे ही सवालों के साथ बहस सनातन धर्म के अर्थ और इतिहास को लेकर भी जारी है। सनातन धर्म की शुरुआत कब हुई? इसकी उत्पत्ति का काल कौन सा है? ऐसे तमाम सवालों के बीच सनातन धर्म को लेकर उत्सुकता बढ़ जाती है। इसमें दो राय नहीं कि नेताओं और राजनीतिक दलों की इस विषय को लेकर की जा रही बयानबाजी के पीछे मंशा सियासी नफा-नुकसान को साधना है। आम चुनाव से पहले आकार ले रहे गठबंधन के एक सहयोगी दल के नेताओं द्वारा इस तरह की बयानबाजी पर सत्ता पक्ष को बैठे बिठाए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। जाहिर है देश के सियासी गलियारों में ‘सनातन पर हमले’ की गूंज अभी देर तक सुनाई देगी। आइये इन सब से इतर सनातन धर्म से जुड़े तथ्य और कथ्य के जरिए इसे जानने और समझने की कोशिश करते हैं।
सनातन का अर्थ है जो शाश्वत हो, सदा के लिए सत्य हो। वो सत्य जो अनादि काल से चला आ रहा है जिसका कभी अंत नहीं होगा, वो ही सनातन है। जिनका ना प्रारंभ है ना अंत है उस सत्य को ही सनातन माना गया है। माना जाता है कि सनातन धर्म उस समय से है जब कोई संगठित धर्म अस्तित्व में नहीं था।
सनातन धर्म दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के तौर पर जाना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में सनातन धर्म के कई चिह्न मिले हैं। सनातन धर्म कितना पुराना है, इसे लेकर भी अलग-अलग दावे हैं। आम धारणा है कि ये धर्म करीब 12 हजार साल पुराना है और कुछ मान्यताओं के मुताबिक 90 हजार साल पुराना भी बताया जाता है।
पौराणिक कथाओं के विश्लेषक और लेखक देवदत्त पटनायक के मुताबिक ”सनातन धर्म का पहला उल्लेख श्रीमदभगवत गीता में मिलता है। इसका मतलब आत्मा के ज्ञान से है, जो शाश्वत है। ये पुनर्जन्म की भी बात करता है। सनातन शब्द का इस्तेमाल जैन और बौद्ध धर्म में भी होता है, क्योंकि ये धर्म पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं। जबकि इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्मों के अर्थ में सनातन का जिक्र नहीं होता है क्योंकि ये पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते।”
हिंदू धर्म को सनातन धर्म इसलिए कहा जाता है कि यही एक धर्म है जो ईश्वर, आत्मा, मोक्ष जैसी अवधारणा को मानता है। एक मान्यता ये भी है कि जब तुर्क और ईरानी भारत आए तो उन्होंने सिंधु घाटी से प्रवेश किया। उनकी भाषा में ‘स’ शब्द न होने के कारण वो सिंधू का उच्चारण नहीं कर पाए, इसलिए उन्होंने सिंधु शब्द को हिंदू कहना शुरू किया। इस तरह से सिंधु का नाम हिंदू हो गया। उन्होंने यहां रहने वाले लोगों को हिंदू कहना शुरू किया और इसी तरह हिंदुओं के देश को हिंदुस्तान का नाम मिला। दूसरी तरफ ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव का कहना है कि हिंदू शब्द इसकी भौगोलिक पहचान के चलते सामने आया। जो भूमि हिमालय और हिंद महासागर के बीच में पड़ती थी, उसे हिन्दू कहा गया। सद्गुरु कहते हैं कि “अगर आप अफ्रीका में पैदा हुए एक हाथी को अफ्रीकन हाथी कह सकते हैं तो फिर हिंदुस्तान में पैदा हुए एक केंचुए को एक हिन्दू केंचुआ कहने में समस्या क्या है? इसी तरह से हर वो चीज और जीव जो इस धरती पर पैदा हुए वे सब हिन्दू हैं।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं का कहना है कि हिंदू धर्म सनातन धर्म का एक रूप है, जो लोग इसे ब्राह्मणवाद से जोड़ रहे हैं उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। दरअसल, तमिलनाडु की राजनीति में हिंदी और ब्राह्मणवाद को लेकर विरोध के स्वर हमेशा से उठते रहे हैं। पिछले कुछ समय से इसपर लगातार बहस जारी है। तमिलनाडु में ब्राह्मणवाद और हिंदी का विरोध 50 साल से भी ज्यादा पुराना है। इसके पीछे द्रविड़ राजनीति की भी पृष्ठभूमि है। उदयनिधि और राजा के बयान में भी इसी राजनीति की छाप दिखाई देती है। जाहिर है तमिलनाडु में हिंदी और सनातन का विरोध DMK की सियासी मजबूरी और जरूरत दोनों है, लेकिन ये नजरिया गठबंधन धर्म के खिलाफ है, यही वजह है कि उदयनिधि और राजा के बयानों ने I.N.D.I.A. के अन्य घटक दलों को असहज कर दिया है। इन सबसे से इतर सनातन धर्म का इतिहास, उसकी अवधारणा और इसकी मान्यताएं बताते हैं कि ‘सनातन ही सत्य है’।