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-नवीन सिंह
भोपाल: पहलगाम में इंदौर के सुशील नाथनियल से आतंकियों ने कहा कि, वो कलमा पढ़कर साबित करें कि मुसलमान हैं। उन्हें नहीं आता था, नहीं पढ़ पाएं क्योंकि वो ईसाई थे। आतंकियों ने उनकी हत्या कर दी। संतोष जगदाले और मंजूनाथ के साथ भी यही हुआ, वो भी नहीं पढ़ पाए वो हिंदू थे। आतंकियों ने उनकी भी हत्या कर दी। हादसे में एक मुसलमान को भी आतंकियों ने मार दिया। इस देश में 99.99 फीसदी गैर मुसलमानों को कलमा पढ़ना नहीं आता होगा। आतंकियों का इस तरह चुन चुन कर मारना बड़ी साजिश का हिस्सा है, जिसे आप हम समझना नहीं चाहते। हादस में हर मजहब के शख्स की शहादत हुई है। हिंदू मुस्लिम ईसाई सब मारे गए हैं।
ऐसा आतंकियों ने क्यों किया? इसके पीछे क्या वजह है? दरअसल अब वो दौर नहीं रहा जब आतंकी आसानी से सरहद पार कर हिंदुस्तान में आतंक मचा दिया करते थे। अब वक्त बदल चुका है। हुकूमत पहले के मुकाबले सरहद पर सख्त हो चुकी है। फौजें हर पल चौकस हैं, आतंकी सिमट रहे हैं। पाकिस्तान में भी शिक्षा का स्तर पहले के मुकाबले बढ़ा है। पाकिस्तानी अपने बच्चों को आतंकियों के कैंप नहीं भेज रहे हैं। उन्हें पढ़ा रहे हैं,काबिल आदमी बना रहे हैं, लेकिन 100 में से कुछ एक हैं जो मजहब के नाम पर जिहाद कर रहे हैं, लोगों को मार रहे हैं और खुद भी मरने से नहीं डर रहे हैं।
खैर, ऐसा क्यों हुआ कि आतंकियों ने मजहब पूछकर कत्ल किए। इसके पीछे की वजह है उनका कमजोर होना है। आतंकियों की फंडिंग पर रोक लगी है। इधर से भी उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा है। इधर वाले सारे समर्थक जेल में हैं या फिर दुनिया को अलविदा कह गए हैं। दूसरे देश भी अब पाकिस्तान को हथेली लगाने तैयार नहीं है। पाकिस्तान और आतंकियों के संगठन अब अलग थलग पड़ गए हैं। ना असलहा मिल रहा है,ना पैसा और ना संरक्षण। शायद अब आतंकियों के पास सिर्फ एक ही चारा बचा है और वो है हमारे देश को तोड़ना, वो भी बिना फंड के, बिना असलहे के। ये कैसे मुमकिन हो सकता है? ये ऐसे मुमकिन हो सकता है जब हमें मजहब के नाम पर लड़ा दिया जाए।
फिलहाल वो सारे आतंकी और उनके सरपरस्त अपने एजेंडे में कामयाब हो गए हैं। 26 मासूमों की हत्या कर उन्होंने अपने एजेंडे को पूरे देश में हवा दे दी हैनिर्दोशों सोशल मीडिया पर मुसलमानों को खरी-खोटी सुनाई जा रही है। मुसलमान कह रहे हैं कि, आतंकियों को सरेबाजार फांसी दी जानी चाहिए। कश्मीरियों को भला बुरा कहा जा रहा है, जबकि इस हादसे का दर्द कश्मीरियों को शायद आपसे हमसे ज्यादा होगा। आखिर हम लड़ क्यों रहे हैं? किससे लड़ रहे हैं क्यों लड़ रहे हैं? देश में रहने वाले मुसलमानों ने आपका हमारा क्या बिगाड़ा है? उन्होंने थोड़ी हत्या की है। हत्यारे तो सरहद पार वाले है। बस कॉमन बात इतनी है कि, वो भी मुसलमान हैं, तो क्या उनके गुनाहों की सजा इन्हें दी जानी चाहिए।
यह भी पढ़ें:वक्त नाजुक है, धैर्य से काम लेने की ज़रुरत है। चौकन्ना रहिए, पड़ोसीअगर बदमाश है तो शिकायत करिए, उसकी पड़ताल करिए। देश में कानून है सुरक्षा एजेंसियां हैं…सजा मिलेगी…जैसे पहले मिलती रही है, लेकिन क्यों किसी को शक की निगाहों से देखा जा रहा है। मैं सनातनी हूं, मुसलमान मेरे दोस्त हैं, मैं उन्हें शक की नज़रों से नहीं देख सकता और क्यों देखूं वो थोड़ी सरहद पार से आए हैं ना उन्होंने पाकिस्तान की वकालत कभी की है। करेंगे तो मैं भी वही करूंगा जो आप कर रहे हैं, लेकिन तब तक किसी को उस नजरिए से मत देखिए, क्योंकि सरहद पार बैठे वो लोग शायद यही चाहते हैं कि हम मजहबी नफरत के नाम पर एक दूसरे से लड़ें,एक दूसरे की हत्या करें, एक दूसरे के घर तबाह करें और वो लोग चैन से अपने कैंप में रहकर अगली प्लानिंग करें।
ये सब आपको सोचना है, आपको करना है। हादसे के बाद सोशल मीडिया को देखकर मुझे ऐसा महसूस हुआ तो मैंने लिख दिया, आगे आपकी मर्जी, लेकिन हमेशा ये ख्याल रखिए कि देश पहले है। बाकी सब बाद में।
जय हिंद…
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