हाईकोर्ट ने कहा कॉन्ट्रैक्ट है मुस्लिम निकाह, हिंदू विवाह की तरह कोई संस्कार नहीं

हाईकोर्ट ने कहा कॉन्ट्रैक्ट है मुस्लिम निकाह, हिंदू विवाह की तरह कोई संस्कार नहीं

हाईकोर्ट ने कहा कॉन्ट्रैक्ट है मुस्लिम निकाह, हिंदू विवाह की तरह कोई संस्कार नहीं
Modified Date: November 29, 2022 / 07:59 pm IST
Published Date: October 20, 2021 9:26 pm IST

बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट(Karnataka Highcourt) ने कहा है कि मुस्लिम निकाह एक अनुबंध या कॉन्ट्रैक्ट है, जिसके कई अर्थ हैं, यह हिंदू विवाह की तरह कोई संस्कार नहीं और इसके टूट जाने से बने कुछ अधिकारों एवं दायित्वों से पीछे नहीं हटा जा सकता। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी बेंगलुरु के भुवनेश्वरी नगर में 52 साल के एजाजुर रहमान की एक याचिका पर की है, जिसमें 12 अगस्त, 2011 को बेंगलुरु में एक पारिवारिक अदालत के प्रथम अतिरिक्त प्रिंसिपल न्यायाधीश का आदेश रद्द करने का अनुरोध किया गया था।

ये भी पढ़ें: शिक्षक पति की मौत के दो साल बाद भी पेंशन पाने दर दर भटक रही पत्नी, शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

रहमान ने अपनी पत्नी सायरा बानो को पांच हजार रुपये के ‘मेहर’ के साथ विवाह करने के कुछ महीने बाद ही ‘तलाक’ शब्द कहकर 25 नवंबर, 1991 को तलाक दे दिया था, इस तलाक के बाद रहमान ने दूसरी शादी की, जिससे वह एक बच्चे का पिता बन गया। बानो ने इसके बाद गुजारा भत्ता लेने के लिए 24 अगस्त, 2002 में एक दीवानी मुकदमा दाखिल किया था, पारिवारिक अदालत ने आदेश दिया था कि वादी वाद की तारीख से अपनी मृत्यु तक या अपना पुनर्विवाह होने तक या प्रतिवादी की मृत्यु तक 3,000 रुपये की दर से मासिक गुजारा भत्ते की हकदार है।

 ⁠

ये भी पढ़ें:स्वामी आत्मानंद स्कूलों में शिक्षकों की बंपर भर्ती, इन पदों पर भी मंगाए गए हैं आवेदन, देखें विवरण

न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ याचिका खारिज करते हुए सात अक्टूबर को अपने आदेश में कहा, ‘‘निकाह एक अनुबंध है जिसके कई अर्थ हैं, यह हिंदू विवाह की तरह एक संस्कार नहीं है, यह बात सत्य है’’ न्यायमूर्ति दीक्षित ने विस्तार से कहा कि मुस्लिम निकाह कोई संस्कार नहीं है और यह इसके समाप्त होने के बाद पैदा हुए कुछ दायित्वों एवं अधिकारों से भाग नहीं सकता।

पीठ ने कहा, ‘‘तलाक के जरिए विवाह बंधन टूट जाने के बाद भी दरअसल पक्षकारों के सभी दायित्वों एवं कर्तव्य पूरी तरह समाप्त नहीं होते हैं’’ उसने कहा कि मुसलमानों में एक अनुबंध के साथ निकाह होता है और यह अंतत: वह स्थिति प्राप्त कर लेता है, जो आमतौर पर अन्य समुदायों में होती है। अदालत ने कहा, ‘‘यही स्थिति कुछ न्यायोचित दायित्वों को जन्म देती है, वे अनुबंध से पैदा हुए दायित्व हैं’’

ये भी पढ़ें:भारत ने किया आगाह, तेल की ऊंची कीमतों का वैश्विक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर होगा


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com