प्रेमचंद जयंती विशेष: हिंदी से ज्यादा इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाई जा रही ​मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं, कर रहीं पीढ़ियों का मार्गदर्शन

प्रेमचंद जयंती विशेष: हिंदी से ज्यादा इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाई जा रही ​मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं, कर रहीं पीढ़ियों का मार्गदर्शन

प्रेमचंद जयंती विशेष: हिंदी से ज्यादा इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाई जा रही ​मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं, कर रहीं पीढ़ियों का मार्गदर्शन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:40 pm IST
Published Date: July 31, 2020 8:32 am IST

रायपुर। अपने समय के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक मुंशी प्रेमचंद की आज जयंती है। हिंदी साहित्य में उनके योगदान को कभी भी कोई भूल नहीं सकता। उनके लिखे उपन्यास और कहानियों की देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के पाठकों के दिल में एक खास जगह है। 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गांव में एक कायस्थ परिवार में जन्में मुंशी प्रेमचंद ने डेढ़ दर्जन उपन्यास और 300 से अधिक कहानियां लिखीं।

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उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की रचनाएं हिन्दी स्कूलों से अधिक अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाई जा रही हैं। सीबीएसई और देश के सबसे बड़े राज्य यूपी बोर्ड के कक्षा 9 से 12 तक के पाठ्यक्रम का विश्लेषण करने से साफ है कि यूपी बोर्ड ने जहां कक्षा 9 व 11 में प्रेमचंद की एक-एक कहानियों को शामिल किया है वहीं सीबीएसई के स्कूलों में पांच रचनाएं पढ़ाई जाती हैं। यूपी बोर्ड के स्कूलों में कक्षा 9 में चलने वाली किताब में प्रेमचंद की ‘मंत्र’ और कक्षा 11 में ‘बलिदान’ को पढ़ाया जा रहा है।

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10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के कोर्स में प्रेमचंद की एक भी रचना नहीं है। वहीं सीबीएसई की कक्षा 9 में चलने वाली क्षितिज भाग 1 में ‘दो बैलों की कथा’, कक्षा 10 की स्पर्श भाग 2 में ‘बड़े भाई साहब’, 11वीं की अंतरा भाग 1 में ‘ईदगाह’ जबकि आरोह भाग 1 में ‘नमक का दारोगा’ को रखा गया है। कक्षा 12 में चलने वाली अंतरा भाग 2 में ‘रंगभूमि’ उपन्यास का अंश ‘सूरदास की झोपड़ी’ पढ़ाया जा रहा है।

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प्रेमचंद जैसे महान कथाकार की रचनाओं को पढ़ते समय हर बार एक नई उम्मीद का सुखद एहसास होता है। उनकी लिखी कहानी में कहानी के तत्वों को समझने, मनुष्य और समाज के पारस्परिक सम्बन्ध के विश्लेषण तथा मानवीय मूल्यों के सृजन की अद्भुत सहायता मिलती है। प्रेमचंद की रचनाओं ने पीढ़ियों के मार्गदर्शन का काम किया है। उनकी लेखनी अद्भुत एवं राह दिखाने वाली है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com