Mithun Chakraborty Birthday: नक्सलवाद छोड़कर संभाला परिवार का जिम्मा, संघर्ष के दिनों में भूखे पेट किया गुजारा

Happy Birthday Mithun Chakraborty: नक्सलवाद छोड़कर संभाला परिवार का जिम्मा, संघर्ष के दिनों में भूखे पेट किया गुजारा

Mithun Chakraborty Birthday: नक्सलवाद छोड़कर संभाला परिवार का जिम्मा, संघर्ष के दिनों में भूखे पेट किया गुजारा
Modified Date: June 16, 2023 / 11:24 am IST
Published Date: June 16, 2023 9:56 am IST

मुंबईः Birthday Mithun Chakraborty Birthday बॉलीवुड के डिस्को डांस मिथुन चक्रवती आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। 1985 में आई फिल्म गुलामी में मिथुन चक्रवर्ती तकिया-कलाम आज भी फेमस है। इंडस्ट्री में मिथुन चक्रवर्ती के दरियादिली के किस्से भी कम मशहूर नहीं हैं। दादा के नाम से पहचाने जाने वाले मिथुन दा आज 73 साल के हो गए हैं। तो चलिए उनके बर्थडे पर उनसे जुड़ा एक दिल को छू लेने वाला किस्सा आपको बताते हैं।

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कोलकाता में हुआ था जन्म

Birthday Mithun Chakraborty Birthday मिथुन चक्रवती का जन्म आज ही के दिन 16 जून को कोलकाता में हुआ था। मिथुन चक्रवर्ती का असली नाम गौरांग था। मिथुन के दो भाई है। जिसमें वो छोटे है। स्कूल की पढ़ाई के बाद मिथुन चक्रवती ने केमिस्ट्री से ग्रेजुएशन किया। उस समय नक्सलवाद चरम पर था, तो कुछ लोगों की गलत संगत में मिथुन भी अपना परिवार छोड़कर एक नक्सल ग्रुप का हिस्सा बन गए थे। उस समय के कुख्यात नक्सलवादी रवि रंजन से मिथुन बेहद करीब थे।

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भाई की मौत के संभाली परिवार की जिम्मेदारी

मिथुन चक्रवती के बड़े भाई की करंट लगने से मौत हो गई। जिसके बाद उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई। बड़े भाई के जाने के बाद वो अपने परिवार में अकेला पड़ गया। जिसके बाद वो नक्सवाद छोड़कर जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली।

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संघर्ष के दिनों में भूखे पेट किया गुजारा

बड़े भाई की मौत के परिवार को पालने के ​लिए वो पुणे आ गए और एक्टिंग में रुचि जागने के लिए फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में आ गए। पढ़ाई पूरी होने के बाद भी उन्हें काम नहीं मिला। काम नहीं मिलने के चलते मिथुन पुणे से मुंबई आ गए। कई दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद भी उन्हें काम नहीं मिला। उनका संघर्ष इतना था उन्हे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। कई बार वो बिना खाए ही सो जाते थे।

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इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में मिथुन ने कहा था, मैंने ऐसे दिन भी गुजारे हैं, जब मुझे भूखे पेट फुटपाथ पर सोना पड़ता था। मेरी रोते-रोते नींद लग जाती थी। कई बार तो मैं सोचता था कि अगले दिन खाना मिलेगा या नहीं। अगले दिन सोने का ठिकाना कहां होगा। मैं कई दिनों तक फुटपाथ पर सोया हूं।

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पहली ही फिल्म में मिला बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड

मृणाल सेन की फिल्म मृगया से मिथुन फिल्मों में आए। पहली ही फिल्म के लिए इन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला। दो साल 1978 में फिल्म रक्षक और 1979 की फिल्म सुरक्षा से मिथुन को स्टारडम मिल गया।

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