MP governor took the meeting of vice-chancellors भोपाल: भारत को चिरिकाल से विश्वगुरू का दर्जा प्राप्त हैं, यहां अनेक शिक्षा विदो ने जन्म लेकर विश्व का कल्याण किया है। हमारी प्राचीन सभ्यता में गुरू का दर्जा माता और पिता से भी ऊपर बताया गया है। जिस भी आश्रम में विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाती थी, उनमें प्रधान अध्यापक से लेकर लेकिन आज से आधुनिक शिक्षा संस्थानों में इसका रूप बदल गया है।
आज अध्यापक को शिक्षक और टीचर के नाम से बुलाया जाता है। जबकी प्रधानध्यापक को हेड मास्टर। किसी भी संस्थान में गुरू शब्द को उपयोग शिक्षकों के लिए अधिकारिक रुप से नहीं उपयोग किया जाता हैं। लेकिन अब भारत के इतिहास में एक नया बदलाव किया गया हैं।
यह बदलाव मध्य प्रदेश सरकार ने किया है।जिसके अनुसार अब मध्य प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय के कुलपति को कुलगुरू के नाम से जाना जाएगा। विश्वविद्यालय ना सिर्फ छात्रों में शिक्षा की ज्योति जगाता हैं अपितु उन्हे समाज के प्रति जागरुक करता हैं।
MP governor took the meeting of vice-chancellors मध्यप्रदेश सरकार ने नई पहल शुरू करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति को कुलगुरू पद नाम से स्थानांतरित किया गया हैं। यह फैसला राज्यपाल मंगू भाई पटेल की अध्यक्षता लिया गया है। कार्यसभा में मौजूद राज्य के उच्च शिक्षामंत्री डॉ मोहन यादव ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि हमने इसका प्रस्ताव राजभवन में सभी मंत्रियों के सामने रखा था, तब सब की सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव पर हां मिली थी।
जिसके बाद आज हमने राज्यपाल के समक्ष बात रखी और साथ ही साथ मनिस्टर्स के सामने पूरी योजना बताई है, जिसके बाद सबने इसके लिए हां बोला हैं।आज राजभवन में राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने विश्वविद्यालय के कुलपतियों की मीटिंग ली, जिसमें उन्होने उच्च शिक्षा मंत्री के प्रस्ताव के बारे में बाताया हैं। कुलपतियों ने इसके लिए हां में जवाब दिया हैं।