Social Boycott of Family: न पानी लेने की अनुमति…न दुकानदार दे रहा सामान, मृत्युभोज में नहीं मिली शराब तो पूरे परिवार को कर दिया बहिस्कृत

Social Boycott of Family: न पानी लेने की अनुमति...न दुकानदार दे रहा सामान, मृत्युभोज में नहीं मिली शराब तो पूरे परिवार को कर दिया बहिस्कृत

Social Boycott of Family: न पानी लेने की अनुमति…न दुकानदार दे रहा सामान, मृत्युभोज में नहीं मिली शराब तो पूरे परिवार को कर दिया बहिस्कृत

Social Boycott of Family: न पानी लेने की अनुमति...न दुकानदार दे रहा सामान / Image Source: AI Generated

Modified Date: June 10, 2025 / 02:26 pm IST
Published Date: June 10, 2025 2:26 pm IST
HIGHLIGHTS
  • 'हंडिया' न परोसने पर संथाल आदिवासी परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया
  • परिवार को गांव के ट्यूबवेल से पानी लेने और दुकानों से सामान खरीदने तक की अनुमति नहीं दी जा रही है
  • पुजारी और पुलिस ने स्पष्ट किया कि 'हंडिया' धार्मिक अनिवार्यता नहीं है

मयूरभंज: Social Boycott of Family in Odisha भारत को सदा से दुनियाभर में परंपराओं और संस्कारों का देश कहा जाता है, लेकिन आज के आधुनिक युग में परंपराओं के नाम पर कई बार अत्याचार होने लगा है। जी हां कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। ओडिशा से ऐसा ही एक मामला इन दिनों सामने आया है, जहां दशगात्र में शराब नहीं परोसी गई तो पूरे परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया। आलम ऐसा है कि परिवार को ट्यूबवेल से ना तो पानी लेने दिया जा रहा है और ना ही गांव के किसी दुकान से सामान खरीदने की अनुमति है।

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Social Boycott of Family in Odisha मिली जानकारी के अनुसार मामला सरात थाना क्षेत्र के केसापाड़ा गांव का है, जहां रहने वाले संथाल जनजाति से ताल्लुक रखने वाले राम सोरेन की बीते दिनो मौत हो गई। एक माह के शोक के बाद उनके बेटे संग्राम ने गांव और समाज वालों के लिएी मृत्युभोज का आयोजन किया। संग्राम ने समाज के नियमों का ध्यान रखते हुए ही मृत्युभोज का आयोजन किया था, लेकिन ‘हंडिया’ नहीं परोसी गई। बता दें कि ‘हंडिया’ एक तरह का देसी शराब है।

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मृत्युभोज में हांडिया नहीं परेसे जाने से गांव और समाज के लोग नाराज हो गए और संग्राम को तीन बच्चों और पत्नी के साथ समाज से बहिस्कृत कर दिया। हालांकि संग्राम ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मेरे पिता को शराब की लत थी और इसी के चलते उनकी जान चली गई, इसलिए हांडिया नहीं परोसी। परिवार को गांव के तालाब या ट्यूबवेल से पानी लेने नहीं दिया जा रहा है और दुकानों से सामान खरीदने तक पर रोक लगाई गई है।

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वहीं, संग्राम की शिकायत के बाद पुलिस की टीम गांव पहुंची। थाना प्रभारी रमाकांत पात्रा ने ग्रामीणों को स्पष्ट शब्दों में समझाया कि किसी को भी सामाजिक रूप से बहिष्कृत करना कानूनन अपराध है। उन्होंने गांव वालों को दो दिन का समय दिया है ताकि आपसी बातचीत से मामला सुलझाया जा सके। यदि बात नहीं बनी तो पुलिस कानूनी कार्रवाई करेगी।

दिलचस्प बात यह है कि संथाल समुदाय के एक पुजारी ने भी माना कि भोज में हंडिया परोसना कोई धार्मिक अनिवार्यता नहीं है, बल्कि यह परिवार की इच्छा और आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। हंडिया ओडिशा, झारखंड और बंगाल के आदिवासी समाज में पारंपरिक पेय के रूप में जाना जाता है। अब इस परंपरा को लेकर सवाल उठने लगे हैं जब यह सामाजिक भेदभाव का कारण बन जाए।

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सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

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