Raipur Police Commissionerate System || Image- IBC24 News Archive
Raipur Police Commissionerate System: रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज साय कैबिनेट की साल की अंतिम बैठक आयोजित की गई। नवा रायपुर स्थित महानदी भवन मंत्रालय में आयोजित कैबिनेट की इस बैठक की सीएम विष्णुदेव साय ने अध्यक्षता की। आज आयोजित हुई साय कैबिनेट की बैठक साल 2025 की आखिरी बैठक होगी। आज हुई साय कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसलों पर चर्चा के बाद मुहर लगाई गई है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दे रहें है।
बात करें कैबिनेट के सबसे अहम फैसलों में तो सरकार ने अपने वादे को पूरा करते हुए रायपुर में 23 जनवरी 2026 से पुलिस कमिश्नरेट लागू (Police Commissionerate System) करने के फैसले को हरी झंडी दे दी है। रायपुर में अब तक पुलिस कप्तान एसएसपी को माना जाता था लेकिन नए निर्णय के बाद अब पुलिस आयुक्त जिले के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी होंगे। कानून व्यवस्था सँभालने के लिए पुलिस आयुक्त के पास मजिस्ट्रियल पॉवर भी होगा। कमिश्नर बनने की दौड़ में आधा दर्जन आईपीएस अफसरों के नाम सामने आये है। इनमें सभी आईजी लेवल के अफसर शामिल है। जिन नामों पर चर्चा है उनमें अजय यादव, अमरेश मिश्रा, बद्रीनारायण मीणा और संजीव शुक्ला जैसे आईपीएस के नाम शामिल है। हालांकि रायपुर का पहला पुलिस कमिश्नर कौन होगा, इसका फैसला नहीं हुआ है। इसके अलावा सरकार ने एक वर्ष की अवधि के लिए पुलिस विभाग में एक ओएसडी के नियुक्ति का भी फैसला लिया है।
बता दें कि, राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू करने के लिए अक्टूबर महीने में एक प्रारूप तैयार किया गया था। यह प्रारूप उच्च स्तरीय समिति द्वारा तैयार किया गया था और इसे राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) अरुण देव गौतम को सौंपा गया था। समिति ने भुवनेश्वर कमिश्नरी मॉडल को बेहतर मानते हुए लगभग 60 प्रतिशत नियमों को रायपुर में लागू करने का निर्णय लिया था। इसके अलावा, शेष 40 प्रतिशत कमिश्नरी प्रणाली के नियम अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, ओडिशा, राजस्थान और मध्यप्रदेश में लागू मॉडल से लिए जाने का फैसला हुआ था।
chhattisgarh Police Commissionerate System: यह कमिश्नर व्यवस्था में सर्वोच्च प्रशासनिक पद है। यह व्यवस्था अमूमन महानगरो में होती है। यह व्यवस्था अंग्रेजों के ज़माने की है। पहले यह व्यवस्था कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में थी जिन्हें पहले प्रेसीडेंसी शहर कहा जाता था। बाद में उन्हें महानगरीय शहरों के रूप में जाना जाने लगा। इन शहरों में पुलिस व्यवस्था तत्कालीन आधुनिक पुलिस प्रणाली के समान थी। इन महानगरों के अलावा पूरे देश में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों की पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर आधारित है। पुलिस आयुक्त महानगरीय क्षेत्र के पुलिस विभाग का प्रमुख होता है।
भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी (D.M.) के पास पुलिस पर नियत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसके अतिरिक्त, दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) को कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियाँ प्रदान करता है। साधारण शब्दों में कहा जाये तो पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नही हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश तहत ही कार्य करते हैं परन्तु पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने से जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारिओं को मिल जाते हैं।
बड़े शहरों में अक्सर अपराधिक गतिविधियों की दर भी उच्च होती है। ज्यादातर आपातकालीन परिस्थतियों में लोग इसलिए उग्र हो जाते हैं क्योंकि पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते। कमिश्नर प्रणाली में पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए खुद ही मजिस्ट्रेट की भूमिका निभाती है। प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिलेगा तो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर जल्दी कार्रवाई हो सकेगी। इस सिस्टम से पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के पास सीआरपीसी के तहत कई अधिकार आ जाते हैं। पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होते है। साथ ही साथ कमिश्नर सिस्टम लागू होने से पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही भी बढ़ जाती है। दिन के अंत में पुलिस कमिश्नर, जिला पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिदेशक को अपने कार्यों की रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव (गृह मंत्रालय) को देनी होती है, इसके बाद यह रिपोर्ट मुख्य सचिव को जाती है।
Raipur Police Commissionerate System: आम तौर पर पुलिस आयुक्त विभाग को राज्य सरकार के आधार पर डीआईजी (DIG) और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों को दिया जाता है। जिनके अधीन, एक पदानुक्रम में कनिष्ठ अधिकारी होते हैं। कमिश्नर सिस्टम के कुल पदानुक्रम निम्नानुसार दिये गये हैं:
पुलिस आयुक्त शहर में उपलब्ध स्टाफ का उपयोग अपराधों को सुलझाने, कानून और व्यवस्था को बनाये रखने, अपराधियों और असामाजिक लोगों की गिरफ्तारी, ट्रैफिक सुरक्षा आदि के लिये करता है। इसका नेतृत्व डीसीपी और उससे ऊपर के रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जाता है। साथ ही साथ पुलिस कमिश्नर सिस्टम से त्वरित पुलिस प्रतिक्रिया, पुलिस जांच की उच्च गुणवत्ता, सार्वजनिक शिकायतों के निवारण में उच्च संवेदनशीलता, प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग आदि भी बढ़ जाता है।
डिप्टी सीएम अरुण साव की प्रेस कॉन्फ्रेंस #LIVE https://t.co/UbD7lCVgIw
— IBC24 News (@IBC24News) December 31, 2025
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